इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, चुनाव याचिका में ही पद की अधिकारिता को दे सकते हैं चुनौती

हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान व उत्तर प्रदेश पंचायतराज एक्ट के अनुसार जनप्रतिनिधियों के चुनाव को सक्षम अधिकारी व कोर्ट में चुनाव याचिका में ही चुनौती दी जा सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 08:00 PM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 08:00 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, चुनाव याचिका में ही पद की अधिकारिता को दे सकते हैं चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, चुनाव याचिका में ही पद की अधिकारिता को दे सकते हैं चुनौती

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ग्राम प्रधान के चुनाव की अयोग्यता और पद धारण करने की योग्यता को लेकर अनुच्छेद 226 के अंतर्गत अधिकार पृच्छा (को-वारंटो) याचिका पोषणीय नहीं है। इस मामले में चुनाव याचिका दायर करके ही चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 जेड जी व उत्तर प्रदेश पंचायतराज एक्ट की धारा 6 ए के अनुसार जनप्रतिनिधियों के चुनाव को सक्षम अधिकारी व कोर्ट में चुनाव याचिका में ही चुनौती दी जा सकती है। अन्य किसी अदालत में चुनौती देने को वर्जित किया गया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हापुड़ के गोहटा आलमगीरपुर के ग्राम प्रधान के खिलाफ अधिकार पृच्छा याचिका जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका वैकल्पिक अनुतोष उपलब्धता के कारण पोषणीय नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति बीके नारायण तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने गांव के निवासी ज्ञानवीर सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याची का कहना था कि विपक्षी ग्राम प्रधान संचित पद धारण करने योग्य नहीं है, क्योंकि वह गांधी स्मारक इंटर कॉलेज हापुड़ में सहायक लिपिक है। वह सहायक लिपिक के रूप में सरकार से वेतन पा रहा है। बिना इस्तीफा दिये ग्राम प्रधान चुने गए और पद पर बने हुए हैं, जो कानून के तहत अयोग्यता है। बिना अधिकारिता के ग्राम प्रधान पद धारण करने पर अधिकार पृच्छा याचिका जारी कर पद से हटाया जाय। ग्राम प्रधान की तरफ से याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की गयी। कहा गया कि कोर्ट को याचिका सुनने का अधिकार नहीं है। उसे उसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

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