All Saints Church of Prayagraj: आप भी जानें, गोथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है यह गिरजाघर

All Saints Church of Prayagraj प्रयागराज का ऑल सेंट्स गिरजाघर 19वीं शताब्दी में वास्तुकला की गोथिक शैली में बनाया गया था। इस ऐतिहासिक गिरजाघर की डिजाइन वर्ष 1871 में विख्यात ब्रिटिश वास्तुकार सर विलियम एमर्सन ने तैयार किया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 01:47 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 01:47 PM (IST)
All Saints Church of Prayagraj: आप भी जानें, गोथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है यह गिरजाघर
प्रयागराज के ऑल सेंट्स गिरजाघर गोथिक वास्तु कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर में सिविल लाइंस के महात्मा गांधी मार्ग और सरोजिनी नायडू मार्ग की क्रासिंग पर स्थापित ऑल सेंट्स गिरजाघर गोथिक वास्तु कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। पत्थरों से बने इस ऐतिहासिक चर्च को लोग पत्थर गिरजा के नाम से भी जानते हैं। क्रिसमस व अन्य अवसरों पर यहां पर प्रार्थना के लिए काफी भीड़ होती है। यह गिरजाघर पर्यटन की दृष्टि से भी प्रयागराज के बेहतरीन स्थलों में है।

एशिया के बेहतरीन चर्चों में शुमार है पत्थर गिरजा

रेवरन डा. अमिताभ राय के अनुसार ऑल सेंट्स कैथेड्रल अपनी बेहतरीन बनावट के चलते एशिया के सबसे बेहतरीन एंग्लिकन कैथेड्रल में से एक माना जाता है। इसको 19वीं शताब्दी में वास्तुकला की गोथिक शैली में बनाया गया था। इस ऐतिहासिक गिरजाघर की डिजाइन वर्ष 1871 में विख्यात ब्रिटिश वास्तुकार सर विलियम एमर्सन ने तैयार किया था। जिन्हेंं विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता और म्योर सेंट्रल कालेज इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की डिजाइन बनाने का भी श्रेय दिया जाता है। 1887 में इसका निर्माण शुरू हुआ था व चार साल में तैयार हो गया था।  

आकर्षक है ब्रिटिश काल में बने इस गिरजाघर की इमारत
चर्च के निर्माण में क्रीम और लाल रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें संगमरमर का ऑल्टर, मोज़ेक का काम, स्टेंड ग्लास के पैनल लोगों को आकर्षित करते हैं। चर्च की पल्पिट (प्रार्थना पढऩे की जगह) काफी भव्य है। बलुआ पत्थर से निॢमत मेहराब व हरियाली से परिपूर्ण लॉन ऑल सेंट्स कैथेड्रल को दर्शनीय बनाते हैं। कैथेड्रल रविवार को सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है।

चार सौ लोग एक साथ बैठकर यहां कर सकते हैं प्रार्थना
ऑल सेंट्स कैथेड्रल काफी विशाल परिक्षेत्र में बना है। इसका प्रार्थना हॉल 40 फिट चौड़ा और 130 फिट लंबा है जबकि चर्च की कुल लंबाई 240 फिट व चौड़ाई 56 फिट है। इसमें एकसाथ चार सौ लोग बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं। इसमें प्रवेश के लिए दक्षिण व उत्तर दिशा में दो बड़े दरवाजे हैं। इसमें तीन टावर बने हैं जिनमें तत्कालीन इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को भी एक टावर समर्पित है। चर्च की इमारत के चारो तरफ पेड़ और फूल लगे हुए हैं जो इमारत की खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं।

यूरोपियन वास्तुकला की एक खास शैली है गोथिक

रेवरन डा. अमिताभ रॉय बताते हैं कि ऑल सेंट्रस गिरजाघर गोथिक वास्तु शैली पर बना है जो कि यूरोप में उत्तर मध्य काल में प्रचलित थी। 12वीं सदी में यह शैली फ्रांस में जन्मी। मेहराब, रिब्ड वॉल्ट्स और पत्थरों की संरचना इस वास्तु शैली की विशेषता है। इस वास्तु शैली पर ब्रिटिश भारत में कई चर्चों का निर्माण हुआ था जो आज भी मौजूद हैं, प्रयागराज का ऑल सेंट्स चर्च उनमें एक है। बताया कि 1970 से ऑल सेंट्स कैथेड्रल चर्च ऑफ नार्थ इंडिया का हिस्सा है।

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