वॉशआउट की लड़ाई अब सड़क पर नहीं

इलाहाबाद : इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में चल रहे छात्र आंदोलन का रुख बदल गया है। छात्रनेता अ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 Apr 2017 01:00 AM (IST) Updated:Fri, 28 Apr 2017 01:00 AM (IST)
वॉशआउट की लड़ाई अब सड़क पर नहीं
वॉशआउट की लड़ाई अब सड़क पर नहीं

इलाहाबाद : इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में चल रहे छात्र आंदोलन का रुख बदल गया है। छात्रनेता अब हास्टलों में वाशआउट का मुद्दा सड़कों पर नहीं उठाएंगे। गुरुवार को छात्रसंघ के निलंबित अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने पत्रकारों को अपनी अगली रणनीति बताई।

छात्रसंघ भवन में उन्होंने कहा कि हास्टल से वाशआउट के मुद्दे से हटने का निर्णय न्यायालय में चल रही सुनवाई के सम्मान में किया गया है। लेकिन इविवि प्रशासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इसके लिए छात्र समुदाय एकजुट होकर समय-समय पर आंदोलन करेगा। अपने 13 सूत्रीय मांगों के समर्थन में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गत एवं वर्तमान सत्र के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जाना चाहिए। छात्रों ने एमएचआरडी से कुलपति के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

इन मुद्दों पर जारी रखेंगे आंदोलन

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- सत्र 2016-17 प्रवेश परीक्षा में सुनियोजित तरीके से परीक्षा एजेंसी टीसीएस द्वारा प्रदत्त रिजल्ट बदलवाकर चहेतों को प्रवेश देना।

- कुलपति पर शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के खिलाफ विद्वेष की भावना से काम करने का आरोप

- छात्रों व कर्मचारियों का निलंबन कर लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का विरोध

- एमएचआरडी व यूजीसी अपनी निगरानी में आगामी सत्र की प्रवेश परीक्षा करवाए।

- कुलसचिव के पद पर रहते हुए क्लास न लेने का आरोप।

- विवि में लगभग 30 पदों पर बिना विज्ञापन, बिना साक्षात्कार और बिना प्रक्रिया के नियुक्ति करना।

- न्यायालय ने कुलपति के कई फैसलों को बदला और इनके फैसले के चलते छात्रसंघ व आम छात्रों को आंदोलन के लिए मजबूर होना

- विवि में स्वयं की स्टैंडिंग काउंसिल होते हुए भी बाहरी वकीलों को मोटी फीस देकर मुकदमा लड़ना।

- एलएलबी की आगामी प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी के लिए 40 अंक और ¨हदी के लिए 10 अंक निर्धारित करना जो कि ¨हदी भाषी ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ अन्याय है।

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