'कागज' पी रहे योजनाओं का पानी

जासं, इलाहाबाद : गांवों में पेयजल योजनाओं की हालत खस्ता है। कहीं पाइप लाइन खराब है तो कहीं बिछाई ही

By Edited By: Publish:Sat, 22 Oct 2016 01:01 AM (IST) Updated:Sat, 22 Oct 2016 01:01 AM (IST)
'कागज' पी रहे योजनाओं का पानी

जासं, इलाहाबाद : गांवों में पेयजल योजनाओं की हालत खस्ता है। कहीं पाइप लाइन खराब है तो कहीं बिछाई ही नहीं गई। जले ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा रहे हैं। जहां पानी पहुंच रहा है, वहां न के बराबर, जबकि सरकारी कागजों में सब कुछ दुरुस्त चल रहा है। यानी योजनाओं का पानी कागज पी रहे हैं। प्रशासन की सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों पर गाज गिरने की नौबत आ गई है।

चाका ब्लाक स्थित दांदूपुर में लगा नलकूप एक माह से संचालित ही नहीं हो रहा है। यहीं के पुरा पांडेय गांव में नलकूप की बो¨रग कराकर छोड़ दिया गया है, जबकि नेवादा समोगर गांव में पाइप लाइन ही नहीं बिछाई गई है। चाका के ही बसवार गांव में कार्य पेयजल का काम शुरू ही नहीं कराया जा सका है। जसरा ब्लाक के सेमरा कल्बना गांव में पाइप लाइन खराब है जिसके चलते पानी लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। चिल्ला गौहानी में नलकूप का ट्रांसफार्मर जल गया है जिसे बदला नहीं जा रहा। जारी में करीब तीन सौ घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। मांडा के धनावल गांव में नहर के किनारे बो¨रग तो हुई है, पर अभी इसे चालू नहीं किया गया है। यहीं के राजापुर गांव में लगे दो नलकूप बंद पड़े हैं। मांडा के ही बामपुर उपरहार में दूषित पानी की आपूर्ति की जा रही है। करछना के मुंगारी गांव में पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने से आपूर्ति बाधित है। मेजा के डेलौहा गांव में पेयजल योजना का काम पूरा नहीं हो सका है। प्रधान ने पाइप लाइन बिछाने का कार्य रोक दिया है। यहीं के भटोही गांव में भी योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। कोरांव के माडो, भगेसर, खीरी, महुली, बड़ोखर आदि गांवों में भी पेयजल संकट बना हुआ है। ये तो कुछ उदाहरण भर हैं, जिले में ऐसे गांवों की संख्या सैकड़ों में है। लोगों तक पानी पहुंचाने के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए हैं, बावजूद लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। लोग परेशान हैं, पर उनकी समस्याओं की विभागीय अधिकारियों द्वारा अनदेखी की जा रही है। पिछले दिनों सीडीओ आंद्रा वामसी ने पेयजल योजनाओं की सच्चाई जानने के लिए सत्यापन अभियान चलाया तो रिपोर्ट चौकाने वाली मिली। ज्यादातर गांवों में पेयजल योजनाएं पटरी से उतरी नजर आई।

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यमुनापार में टीम भेजकर पेयजल योजनाओं का सत्यापन कराया गया है। रिपोर्ट चौकाने वाली है। ज्यादातर गांवों में नलकूप बिगड़े हुए हैं, लोगों को पानी नहीं मिल रहा। समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को 15 दिन का समय दिया गया है। अगर इस दौरान समस्याएं दूर नहीं होती तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आंद्रा वामसी, मुख्य विकास अधिकारी इलाहाबाद

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