उत्तर प्रदेश परिवहन निगम: सफर में दर्द के साथ जिंदगी से खिलवाड़, जानिए रोडवेज की हकीकतAligarh News
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों पर लिखा नारा सफर में आपका अपना साथी अब बेमानी साबित हो रहा है। पर्याप्त मरम्मत और देखरेख के अभाव में रोडवेज की बसें खटारा होती जा रही हैं। जो यात्रियों को सुहाने सफर की जगह दर्द दे रही हैं।
अलीगढ़, जागरण संवादाता। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों पर लिखा नारा 'सफर में आपका अपना साथी' अब बेमानी साबित हो रहा है। पर्याप्त मरम्मत और देखरेख के अभाव में रोडवेज की बसें खटारा होती जा रही हैं। जो यात्रियों को सुहाने सफर की जगह दर्द दे रही हैं और उनकी अमूल्य जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ कर रही हैं। दरअसल, इन बसों की हालत दयनीय हो चुकी है। स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत के लिए शासन स्तर से बजट न मिल पाने से तमाम बसें सड़क पर चलने की बजाय आफ रूट होकर वर्कशाप में खड़ी हुई हैं। बसों की कमी के कारण यात्रियों को बस अड्डे पर काफी देर तक बसों का इंतजार करना पड़ता है। इससे वे परेशान हो रहे हैं। कई ग्रामीण मार्गों पर बसों का संचालन बंद भी कर दिया गया है। अधिकांश बसों के टायरों के घिस जाने के बाद भी उन्हें बार-बार इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सड़क हादसे का बड़ा कारण बन रही हैं। अधिकांश बसों में स्टेपनी तक नहीं हैं। जिससे रास्ते में टायर फटने या पंचर हो जाने की स्थिति में उन्हें बदला जा सके। सड़क पर जो बसें दौड़ भी रही हैं उनकी भी स्थिति भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। कोरोना संक्रमण काल से रोडवेज लगातार घाटे में चल रहा है।
भगवान भरोसे पूरा सिस्टम
सोमवार दोपहर करीब एक बजे गांधीपार्क बस स्टैंड पर हाथरस, कासगंज व एटा डिपो की बसें खड़ी हुई थीं। जिनमें धूल, मिट्टी जमी हुई थी। देखने से ऐसा लग रहा था जैसे महीनों से इनकी धुलाई तक नहीं हुई थी। वर्षों से इन बसों की न तो रंगाई-पुताई हुई और न ही पर्याप्त मरम्मत। कई सीटें भी टूटी हुई िमलीं। िजन पर बैठकर सफर करना यात्रियों की मजबूरी है। बस की खिड़की व दरवाजे के शीशे भी गायब थे या फिर टूटी हालत में थे। टायर भी घिसी हालत में थे। इन बसों के चालक-परिचालक भी बिना वर्दी थे। जिससे उनकी पहचान तक नहीं हो पा रही थी।
50 से अधिक बसें वर्कशाप में खड़ी हैं
सारसौल स्थित वर्कशाप में 50 से अधिक रोडवेज की बसें टायर व स्पेयर पार्ट्स के अभाव में खड़ी हुई हैं। इसके अलावा भी ड़ेढ़ दर्जन से अधिक बसें ऐसी हैं जो सड़कों पर दौड़ रही हैं, जिनकी बहुत अच्छी स्थिति नहीं है। फोरमैन से बातचीत में निकल कर सामने आया कि मरम्मत के लिए कई बसें महीनों से वर्कशाप में खड़ी हैं। स्पेयर पार्ट्स व टायर के लिए मुख्यालय से मांग की गई है।
टायरों पर फिर से चढ़ा दी जाती है रबड़
पूरे परिक्षेत्र में करीब 100 से अधिक ऐसी बसें हैं जिनके टायर घिस चुके हैं, लेकिन बजट के अभाव में इन्हें बदला नहीं जा सका है। नए टायरों की कीमत ज्यादा होने के कारण टायरों को रिट्रेड किया जा रहा है। एक बार घिस जाने के बाद टायरों पर फिर से रबड़ चढ़ाई जाती है। ऐसे रिट्रेड टायर आमतौर पर ट्रक आदि में लगाए जा सकते हैं। सवारी गाडि़यों में इन्हें लगाना जान- जोखिम में ही डालना है। टायर फटने से कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है। एक्सपर्ट के अनुसार बसों में लगने वाले टायरों की उम्र 65 से 70 हजार किलोमीटर चलने के बाद खत्म हो जाती है। इसके बाद टायरों को सुरक्षा की दृष्टि से बदला जाना चाहिए।
कोरोना काल के बाद से रोडवेज की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। बसों की मरम्मत कराने के लिए बजट नहीं होने से बसें खराब हो रहीं हैं। अलीगढ़ परिक्षेत्र में सात डिपो हैं। जिनमें करीब 710 बसों का बेडा शामिल है। बसों की रिपेयरिंग व घिसे टायरों को बदलने के लिए मुख्यालय से लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा था। जिसके बाद बजट जारी हो गया है। करीब 250 नए टायर भी उपलब्ध कराए गए हैं। आगे और भी टायर मिलने की उम्मींद है। दीपावली से पूर्व ही सारी बसों को दुरूस्त कर उन्हें विभिन्न रूटों पर संचालित किया जाएगा।
- मोहम्मद परवेज खान, आरएम रोडवेज, अलीगढ़ परिक्षेत्र