हाथरस में भीषण गर्मी से अभी निजात नहीं, पसीना छुड़ा रही उमस

जून की गर्मी इंसान के शरीर से पसीना निकाल रही है लेकिन आसमान से पानी नहीं गिर रहा। लोगों को बारिश की आस है ताकि गर्मी से निजात मिल सके। वहीं किसानों ने भी धान की नर्सरी लगा ली है और बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 27 Jun 2022 12:27 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jun 2022 12:45 PM (IST)
हाथरस में भीषण गर्मी से अभी निजात नहीं, पसीना छुड़ा रही उमस
भीषण गर्मी से अभी निजात मिलती नहीं दिख रही है।

हाथरस, जागरण संवाददाता। भीषण गर्मी से अभी निजात मिलती नहीं दिख रही है। दो दिन मिली राहत के बाद गर्मी का सितम फिर शुरू हो गया है। दोपहर में तो गर्म हवाओं की लपटों के चलते रास्तों पर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं घरों में उमस भरी गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा है। मौसम विशेषज्ञों की माने तो मानसून के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। 

बारिश के दूर दूर तक नहीं दिख रहे आसार

जून की गर्मी ने पसीना निकाल रखा है। बारिश के दूर-दूर तक भी कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। इस बार गर्मी का मौसम मार्च में ही शुरू हो गया था। अप्रैल में गर्मी ने मई जून का एहसास लोगों को करा दिया था। वहीं अब जून की गर्मी के तेवर झेलना भी मुश्किल हो रहा है। हल्की बारिश होने से दो दिन राहत मिली थी। फिर से गर्मी लोगों का हाल-बेहाल कर रही है। भीषण गर्मी के चलते सड़कों पर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। इससे जनमानस ही नहीं पशु-पक्षी भी परेशान हैं।

शाम को गुलजार हो रहे बाजार

सुबह खुलते ही लोगों द्वारा खरीदारी शुरू कर दी जाती थी। भीषण गर्मी से बाजारों में ग्राहक बहुत कम दिखते हैं। दोपहर के समय तो बाजारों में सन्नाटा पसर रहा है। सड़कें भी खाली दिखती हैं। सूर्य के ढलने के साथ बाजारों में ग्राहकों की चहल-पहल बढ़ जाती है। शहर के लोग तो शाम के समय ही बाजारों में निकलते हैं। रात में 11 बजे तक बाजार में खानपान की दुकानें गुलजार हो रही हैं।

खेतों में सूख रहीं फसलें

भीषण गर्मी ने आमजन ही पशु-पक्षी भी परेशान हैं। वह भी नहर, रजबहा, सरोवर व अन्य जल स्त्रोतों के सहारे अपना ठिकाना बनाए हुए हैं। सबसे अधिक दिक्कतें किसानों को झेलनी पड़ रही हैं। तपती धूप के चलते खेतों में काम भी नहीं कर पा रहे हैं। सिंचाई करते ही वह दूसरे दिन सूख जाती है। धान की फसल के लिए तैयार की गई नर्सरी भी सूख रही हैं। बारिश के लिए किसान आसमान की ओर ताक रहे हैं।

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