Azam Khan : आजम खान परिवार को बड़ी राहत, सपा नेता की सजा पर रोक, बेटे-बीवी की नहीं; तीनों को जमानत
Allahabad High Court राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने भी इस मामले में बहस की थी। इसके अलावा अपर महाधिवक्ता पी सी श्रीवास्तव व शासकीय अधिवक्ता एके संड जेके उपाध्याय ने पक्ष रखा जबकि आजम परिवार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरानुल्ला खां ने बहस की। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी आजम परिवार की तरफ से बहस करने आए थे।
Azam Khan Case : विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में हुई सजा के खिलाफ पूर्व मंत्री आजम खां,उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां और पत्नी तजीन फात्मा को बड़ी राहत दी है।
तीनों की जमानत कोर्ट ने मंजूर कर ली है और पूर्व मंत्री को मिली सजा पर भी रोक लगा दी है। तीनों को व्यक्तिगत मुचलके और दो प्रतिभूति लेकर इस मामले में रिहा करने का आदेश दिया गया है। हालांकि पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अबुदल्ला आजम खां को मिली सजा पर रोक लगाने से कोर्ट ने इन्कार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका (क्रिमिनल रिवीजन) पर शुक्रवार को सुनाया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 14 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था।
राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने भी इस मामले में बहस की थी। इसके अलावा अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव व शासकीय अधिवक्ता एके संड ,जेके उपाध्याय ने पक्ष रखा जबकि आजम परिवार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरानुल्ला खां ने बहस की।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी आजम परिवार की तरफ से बहस करने आए थे। आजम खां, उनकी पत्नी व बेटे को रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने जन्म प्रमाणपत्र मामले में सात -सात साल कैद की सजा सुनाई है। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर इसे चुनौती दी गई। इसमें जमानत के लिए भी अर्जी दी गई थी।
यह है मामला
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला आजम स्वार विधानसभा सीट से सपा विधायक निर्वाचित हुए थे। प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की।
कहा, अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखते थे। आयु बढ़ा कर चुनाव लड़ाया गया। चुनाव याचिका पर हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी।
शैक्षिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 है। तीनों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।