केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री की तारीफ से प्रोफेसर गदगद बोले कोरोना से अधिक ऊर्जा से लड़ेंगे

कोरोना संक्रमित होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे जेएन मेडिकल कॉलेज के टीबी व छाती रोगों के विभाग के प्रो. मोहम्मद शमीम की केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल नि

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 12:37 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 12:59 AM (IST)
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री  की तारीफ से प्रोफेसर गदगद  बोले कोरोना से अधिक ऊर्जा से लड़ेंगे
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री की तारीफ से प्रोफेसर गदगद बोले कोरोना से अधिक ऊर्जा से लड़ेंगे

अलीगढ़ (जेएनएन)।  कोरोना संक्रमित होने के बावजूद मरीजों का इलाज कर रहे जेएन मेडिकल कॉलेज के टीबी व छाती रोगों के विभाग के प्रो. मोहम्मद शमीम की केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशांक ने तारीफ की है। ट्यूट कर उन्होंने कहा, मैं उन्हें  सेल्यूट करता हूूं। इससे प्रोफेसर भी गदगद हैं। उन्होंने कहा है इससे उन तमाम डॉक्टरों को बल मिलेगा जो कोरोना से लड़ रहे हैं। मैं नई ऊर्जा के साथ कोरोना से जंग में रहूंगा। कोरोना को हम मात देकर ही रहेंगे। उधर, प्रो. शमीम मरीजों के मुरीद बन गए हैं। मरीज भी उनके लिए जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं। जल्द स्वस्थ्य होने के संदेश उनके मोबाइल पर भेज रहे हैं। रविवार को प्रो. शमीम, एक सीनियर रेजीडेंट और दो नर्सिंग स्टाफ संक्रमित मिले थे।

घर में रहकर करा रहे इलाज 

प्रो. शमीम घर पर रहकर इलाज करा रहे है। इस हालात में भी प्रो. शमीम ने कोरोना से जंग में बहादुरी का परिचय दिया है। टेलीमेडिसिन के जरिए वह नियमित टीबी के जो मरीज उनके संपर्क में हैं। फोन पर ही सलाह दे रहे हैं। सोमवार को उन्होंने दस से अधिक मरीज देखे। मंगलवार को भी कोविड-वार्ड में भर्ती संक्रमित मरीजों का हाल जाना और उन्हें देने के लिए जूनियर डॉक्टरों को दवा बताईं। 

ये दिन चर्या है प्रो. शमीम की 

प्रो. शमीम माता-पिता, पत्नी व दो बच्चों के साथ घर पर हैं। साथ में पूरा परिवार जरूर है लेकिन एक कमरे में वह अकेले रहते हैं। प्रो. शमीम के अनुसार सुबह 4.45 बजे दिन की शुरुआत होती है। नमाज पढऩे के बाद व्यायाम करते हैं। नहाने के बाद नाश्ता करते हैं। परिवार के लोग नाश्ते की प्लेट दरवाजे तक पहुंचाते हैं। यहां से वह खुद लेते हैं।  सुबह नौ बजे वह कोविड-वार्ड के मरीजों को  ऑनलाइन देखते हैं। मरीजों की क्या स्थिति है? उन्हें किस दवा की जरूरत है? इस संबंध में जूनियर डॉक्टर को गाइड करते हैं। इसके बाद कमरे में ही दोपहर का वक्त बीतता है। इस दौरान वह किताब पढ़ते हैं। परिजन व दोस्तों से मोबाइल पर बात करते हैं। मरीजों के फोन आते हैं तो उन्हें गाइड करते हैं। शाम को फिर आनलाइन वार्ड के मरीजों का हाल जानते हैं। रात में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बहन-भाइयों का हाल जानते हैं।

यह दिया संदेश 

प्रो. शमीम ने कहा कि अन्य विभागों के चिकित्सक भी आइसीटी गैजेट््स, टेलीफोन व स्मार्ट आदि का प्रयोग कर रोगियों को चिकित्सकीय परामर्श करना जारी रख सकते हैं। कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा चिकित्सकों के लिए बना रहता है। सभी नकारात्मक परिस्थितियों में भी चिकित्सकों के लिए सेवाएं देना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत अनुभव है कि खुद संक्रमित होने के बावजूद अन्य रोगियों से साहस प्राप्त हुआ है। मेेडिकल कॉलेज के ङ्क्षप्रसिपल प्रो. शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि अब तक 27 कोविड-19 संक्रमित रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर छुट्टी पा चुके हैं। 

कुलपति ने की तारीफ

एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि कोविड-19 से लड़ाई में हमारे डॉक्टर सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। प्रो. शमीम ने साहसिक कदम उठाया है।

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