बीमारी से बचना है तो अपनों के साथ रहें, 15 फीसद तक बुजुर्ग बीमारी की गिरफ्त में Aligarh news
फिलहाल ऐसे बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है। यदि समय से इसका इलाज नहीं होता है तो समस्या बढ़ जाती है फिर बुजुर्ग मरीजों को काफी दिक्कत होती है। वह घर से कब निकल जाएं बातें भूलने लगे आदि समस्याएं होने लगती हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। उम्र बढऩे के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर पर हावी होने लगती हैं। इन्हीं में से प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स -डिमेशिया) की है। फिलहाल ऐसे बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है। यदि समय से इसका इलाज नहीं होता है तो समस्या बढ़ जाती है फिर बुजुर्ग मरीजों को काफी दिक्कत होती है। वह घर से कब निकल जाएं, बातें भूलने लगे आदि समस्याएं होने लगती हैं। इसीलिए इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेशिया दिवस मनाया जाता है। इसी के साथ डिमेशिया जागरूकता सप्ताह की भी शुरुआत हो जाती है, 27 सितंबर तक यह चलता है।
हो जाती है भूलने की आदत
जेएन मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के विशेषज्ञ डा. एसए आजमी ने कहा कि अल्जाइमर 65 वर्ष की उम्र में करीब पांच फीसद बुजुर्गों को हो जाती है। 85 फीसद में करीब 15 फीसद तक बुजुर्ग बीमारी की गिरफ्त में आ जाते थे। ऐसे बुजुर्गों में भूलने की सबसे बड़ी आदत होती है। इस बीमारी में 60 से 70 फीसद अकेलेे रहने के कारण लोग अल्जाइमर के शिकार हो जाते हैं। डॉ. आजमी ने कहा कि मस्तिष्क में जैव रसायिनक का असंतुलन और पपड़ी पडऩे के कारण होता है। फिर रोगी का व्यवहार असामान्य हो जाता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि अपनों के साथ रहें, अच्छा खानपान और दिमागी व्यायाम करें जिससे आप बीमारी से बच सकते हैं।
सुकून से सुनें बातें, रखें खास ख्याल
मानसिक रोग की एडिशनल डॉ. अंशु सोम ने कहा कि अल्जाइमर बुजुर्गों के लिए घातक है। आज के समय में हर कोई व्यस्त है। बड़ों को काम है तो बच्चों के हाथों में मोबाइल आ गया है। ऐसे में कई बार परिवार में हम बुजुर्गों का ख्याल नहीं रख पाते हैं, फिर बुजुर्ग अकेलापन महसूस करने लगते हैं और डिमेशिया के शिकार हो जाते हैं। उनके भूलने की आदत शुरू हो जाती है। कई बार तो वह अपने घर का पता, परिवार के लोगों का नाम तक भूल जाते हैं। घर से बाहर निकल जाते हैं। इसलिए बुजुर्गों के प्रति अपनापन रखें, उन्हें अकेलापन न महसूस होने दें।