जिस व्यवस्था के चलते पेपर हो रहे आउट, जिम्मेदारों पर भी वही व्यवस्था लागू, ये है मामला

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की परीक्षा में पेपर आउट होने के प्रकरण एक के बाद विश्वविद्यालय की छवि धूमिल कर रहे हैं। मगर जिस व्यवस्था के चलते ये समस्या खड़ी हो रही है वहीं व्यवस्था जिम्मेदारों के ऊपर भी लागू की जा रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sat, 21 May 2022 07:10 AM (IST) Updated:Sat, 21 May 2022 07:10 AM (IST)
जिस व्यवस्था के चलते पेपर हो रहे आउट, जिम्मेदारों पर भी वही व्यवस्था लागू, ये है मामला
डा. रक्षपाल सिंह ने डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कमियां गिनाईं।

अलीगढ़, जागरण संवादाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की परीक्षा में पेपर आउट होने के प्रकरण एक के बाद विश्वविद्यालय की छवि धूमिल कर रहे हैं। मगर जिस व्यवस्था के चलते ये समस्या खड़ी हो रही है वहीं व्यवस्था जिम्मेदारों के ऊपर भी लागू की जा रही है। शिक्षा के जानकारों का मानना है कि इसके लिए अस्थाई व्यवस्था ही जिम्मेदार है। चाहें वो अस्थाई व्यवस्था महाविद्यालयों की संबद्धता के लिए की गई हो या फिर अस्थाई व्यवस्था विश्वविद्यालय के जिम्मेदार पदों पर आसीन हाेने वाले पदों के लिए की गई हो। ये बातें शिक्षाविद डा. रक्षपाल सिंह ने कहीं हैं। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली को निशाना बनाते हुए सवाल खड़े किए हैं।

कई प्रश्‍न पत्र हुए आउट

डा. रक्षपाल सिंह ने कहा कि डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की संचालित परीक्षा-2022 में आए दिन प्रश्नपत्रों का आउट होना बहुत गंभीर है। विश्वविद्यालय प्रशासन व सरकार के लिए शर्म की बात है। इसी विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति के कई साल सदस्य रहे। डा. रक्षपाल सिंह ने अपने बयान में कहा है कि प्रदेश के कुलपतियों की प्रमुख जिम्मेदारी गोपनीयता बरतते हुए परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों को छपवाना, नकलविहीन परीक्षाओं का संचालन, उनका पारदर्शी मूल्यांकन, परीक्षा परिणाम की घोषणा कराकर जून माह के अंत तक परिक्षार्थियों की अंकतालिकाओं का वितरण कराना है। मगर अफसोस है कि इस विश्वविद्यालय की संचालित परीक्षा-2022 में कई परीक्षा प्रश्नपत्र आउट हो चुके हैं, जिससे परीक्षा व्यवस्थाओं की बदहाली पर ही प्रश्नचिह्न लग चुका है, जिसकी जिम्मेदारी से सरकार एवं अस्थाई कुलपति बच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि कुलपति ने ही बताया है कि पेपर आउट होने वाले कालेज को अस्थाई मान्यता दी गई थी। फिर इसको एक साल तक बढ़ा दिया गया। इसके चलते ही ये सारी समस्या इसी कारण से उपजी है। इसी तरह आगरा यूनिवर्सिटी में अस्थाई कुलपति की व्यवस्था होना भी इसकी जिम्मेदार है।

छात्र-छात्राएं परेशान

डा. सिंह ने वेदना के साथ कहा कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ प्रदेश सरकार विगत लगभग एक साल से क्रूर मजाक कर रही है कि एक अस्थाई ऐसे चहेते कुलपति से काम चलाया जा रहा है जो आगरा से लगभग 300 किलोमीटर दूर कानपुर के विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति पद पर नियुक्त हैं। जो यदा-कदा ही विश्वविद्यालय परिसर में आते हैं और परिणामस्वरूप प्रति दिन हजारों विद्यार्थियों को अपनी अंकतालिकाओं, डिग्रियों आदि न मिलने की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार से मांग की है कि अविलंब विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जाए। जिससे साफ-सुथरी परीक्षाओं का संचालन व विद्यार्थियों की समस्याओं का माकूल समाधान होता रहे।

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