मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी, दीवाली पर भी समझ आया मरीजों का दर्द
जेएन मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हठधर्मिता के चलते बुधवार को भी हड़ताल जारी रही। मरीजों को इमर्जेंसी से लौटना पड़ा।
अलीगढ़ (जेएनएन)। जेएन मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हठधर्मिता के चलते बुधवार को भी हड़ताल जारी रही। मरीजों को इमर्जेंसी से लौटना पड़ा। इमर्जेंसी में तैनात सीनियर डॉक्टरों ने एएमयू कर्मचारियों व छात्रों को देखने के अलावा किसी और मरीज को हाथ नहीं लगाया। दीपावली पर हड़ताल होने से मरीजों को मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है। जो इलाज मेडिकल कॉलेज में हो सकता था, उसके लिए दिल्ली जाना पड़ रहा है। आगामी रणनीति तय करने के लिए दोपहर दो बजे एसोसिएशन की बैठक बुलाई है।
सातवें वेतनमान की मांग को लेकर हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों की मंगलवार दोपहर दो बजे आम सभा हुई। दो घंटे चली आमसभा में निर्णय लिया गया कि सातवां वेतनमान लागू होने पर ही हड़ताल खत्म होगी। जूनियर डॉक्टरों की ऐसी मांग है, जिसे एएमयू इंतजामिया पूरी नहीं कर सकता। इसी कारण डॉक्टरों की हड़ताल का तुक समझ में नहीं आ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जूनियर डॉक्टरों ने दीपावली पर ही हड़ताल क्यों की? इससे पहले तो किसी त्योहार पर हड़ताल पर नहीं गए।
केवल एएमयू छात्रों को ही देखा
बुधवार को भी इमर्जेंसी में तैनात डॉक्टरों ने एएमयूकर्मियों व छात्रों को ही देखा। सामान्य मरीजों को लौटा दिया। कैंसर पीडि़त मरीज को तो इंजेक्शन तक नहीं लग सका। कासगंज जेल से आए बंदी को भी नहीं देखा। उसकी आंख का ऑपरेशन हुआ था। परेशानी होने पर वह पुलिस हिरासत में दिखाने आया था।
कुलपति के अनुरोध को भी ठुकराया
जूनियर डॉक्टर अपनी जिद के आगे की किसी की नहीं सुन रहे। सोमवार रात कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने आरडीए अध्यक्ष डॉ. अब्दुल्ला आजमी व अन्य को बुलाकर बात की थी। मरीजों की परेशानी का हवाला देते हुए डॉक्टरों को समझाया कि सातवें वेतनमान को लेकर इंतजामिया गंभीर है। यूजीसी से पत्राचार किया गया है। यह जानने के लिए डॉक्टर फाइनेंस ऑफीसर के साथ यूजीसी जा भी सकते हैं। डॉक्टर नहीं माने।
खाली धरनास्थल ने इंतजामिया को बनाया चक्करघिन्नी
आरडीए पदाधिकारियों का दावा है कि वह 107 दिन से धरना दे रहे हैं, लेकिन इंतजामिया ने उनकी नहीं सुनी। धरना किस तरह का चल रहा है, इसकी सच्चाई जानकार आप हैरान रह जाएंगे। हकीकत यह है कि प्रिंसिपल ऑफिस के सामने चल रहे धरने पर डॉक्टर बैठते ही नहीं हैं। कभी-कभी जरूर नजर आ जाएंगे। बिना चादर बिछे तीन गद्दे, बिना कवर के दो तकिया और आठ-नौ कुर्सी नजर आती हैैं। मंगलवार को भी यही नजारा था। आरडीए अध्यक्ष डॉ. अब्दुल्ला आजमी का कहना है कि हम हर समय धरने पर नहीं बैठ सकते। मरीजों को भी देखते हैं। यह बात इंतजामिया को भी पता है। प्रिंसिपल प्रो. एससी शर्मा का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों को हर तरह से समझाया गया है, लेकिन वह जिद से पीछे नहीं हट रहे। उनकी मांग ही ऐसी है, जिसे यहां से पूरा नहीं किया जा सकता। इमर्जेंसी में मरीजों को परेशानी न हो, इसके लिए और व्यवस्था की जा रही है।
कोई मौत हुई तो अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार होगा
आरडीए अध्यक्ष डॉ. अब्दुल्लाह आजमी का कहना है कि बुधवार दोपहर दो बजे फिर आमसभा होगी। उसमें आगे की रणनीति तय होगी। हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर हैं, इमर्जेंसी को अस्पताल प्रशासन ने क्यों बंद कर रखा है। किसी मरीज की मौत होती है तो अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार होगा।
हिंदू विरोधी हैं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर
विहिप के विभाग मंत्री रामकुमार आर्य ने कहा है कि दीवाली पर्व पर हड़ताल से साफ है कि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर हिंदू विरोधी हैं। उन्होंने अपने तो सारे त्योहार मना लिए।हिंदुओं के त्योहार पर हड़ताल कर दी। डीएम को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव डॉ. पूजा शकुन पांडेय ने कहा है कि हड़ताल जानबूझकर की गई है। डॉक्टरों को पता है कि दीवाली पर्व पर हिंदु मरीजों की संख्या बढ़ सकती है, इसलिए साजिश के तहत यह फैसला लिया है। प्रशासन को चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र पाल सिंह ने कहा है कि जेएन मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों ने दीवाली पर हड़ताल कर दिखा दिया है कि वे हिंदू विरोधी मानसिकता के हैैं। ऐसा लग रहा है कि वे हिंदू त्योहार का इंतजार कर रहे थे।