गुमनामी में दर्ज मौतों को अपनों का इंतजार

लावारिस पड़ी वस्तुएं। ये अब जिंदा नहीं हैं, लेकिन इन्हें अपनों की तलाश है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Apr 2018 03:00 PM (IST) Updated:Thu, 26 Apr 2018 03:00 PM (IST)
गुमनामी में दर्ज मौतों को अपनों का इंतजार
गुमनामी में दर्ज मौतों को अपनों का इंतजार

अलीगढ़ : ये अब जिंदा नहीं हैं, लेकिन इन्हें अपनों की तलाश है। जी, हॉं! हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो रेल हादसे में दम तोड़ चुके हैं। पुलिस ने अज्ञात के रूप में उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया। मगर, उनकी पहचान के रूप में बिसरा, कपड़े, सामान आदि रख लिया है। पुलिस को इंतजार है कि कब इनका अपना आए और पहचान कर गुमनामी से मुक्ति दिलाए।

पुलिस की लापरवाही : पहचान सुरक्षित रखने के लिए पोस्टमार्टम गृह से मिलने वाले कपडे़ भी जीआरपी ने सुरक्षित नहीं रखे हैं। इन्हें थाने के बाहर खड़े कंडम वाहनों में लावारिस हाल में छोड़ दिया है। गाड़ी के शीशे टूटे होने से बंदर भी इन कपड़ों को निकालकर इधर-उधर फेंक देते हैं।

166 लोग हुए हादसे का शिकार : अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर 2017 में 32 महिलाओं, 134 पुरुषों की मौतें हुई। इनमें 128 की मौत रेल से कटकर हुई, 26 की बीमारी से, दो हत्या, एक आत्महत्या व नौ मौतें अन्य कारणों से हुईं। कुल 166 लोगों की मौत हुई। इन घटनाओं में 50 लोग जीआरपी के रिकार्ड में अभी भी अज्ञात में दर्ज हैं। इन कुल घटनाओं में से सिर्फ चार का पुलिस ने डीएनए सैंपल लिया है, जबकि 24 घटनाएं अभी भी पुलिस जाच में हैं। यह हैं नियम

अज्ञात में दर्ज मृतकों की शिनाख्त के लिए पोस्टमार्टम गृह से मिलने वाले सीज कपड़ों को जीआरपी को अपने माल गृह में सुरक्षित रखना चाहिए। यदि माल गृह में जगह न हो तो इसके उचित रखरखाव की व्यवस्था करनी चाहिए। यहां जीआरपी के पास खुद का माल गृह तो है, छोटा होने के कारण इसमें इन कपड़ों को सुरक्षा नहीं मिल सकी है।

अलीगढ़ के इंस्पेक्टर जीआरपी यशपाल सिंह ने बताया कि हमारे पास माल गृह में इन्हें सुरक्षित रखने के लिए जगह नहीं है। सीनियर अफसरों को मालगृह के लिए जगह उपलब्ध कराने को पत्राचार हो चुका है। रेलवे ने भी अन्य कोई जगह नहीं दी है।

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