अलीगढ़ में पांच माह में गायब हुए 14 बच्चे, मिले आठ ही , छह का अभी पता नहीं

यदि आपका बच्चा जरा सी देर के लिए बिना बताएं कहीं चला जाए तो आपको कैसा लगात है। शायद परेशान हो जाते होंगे। पर जिले में कई एेसे परिवार हैं जो अपने लालों का इंतजार कर रहे हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 12:03 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 04:03 PM (IST)
अलीगढ़ में पांच माह में गायब हुए 14 बच्चे, मिले आठ ही , छह का अभी पता नहीं
अलीगढ़ में पांच माह में गायब हुए 14 बच्चे, मिले आठ ही , छह का अभी पता नहीं

रिंकू शर्मा, अलीगढ़। चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...। हाथों में लाडलों की तस्वीर और आंखों में आंसू लिए दरवाजे की ओर टकटकी लगाए बैठे लापता बच्चों के मां-बाप की कुछ ऐसी ही पीड़ा है। उनकी आंखों के तारे उनसे ओझल हैं। यह एक घर की कहानी नहीं, जिले कई परिवारों की है, जो थाने से लेकर कप्तान से भी मिले हैं। हर बार एक ही जवाब मिला है कि, इंतजार कीजिए। निठारी कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की गुमशुदगी पर पुलिस को जगाया था, लेकिन लगता है नींद की झपकी फिर से लग गई है। 

तीन साल में 117 बच्चे गायब 

जिले में तीन वर्ष में करीब 117 बच्चे गायब हुए हैं। हालांकि 82 के परिवार ऐसे भाग्यशाली रहे जिनके लाल उन्हें मिल गए। तीन की हत्या कर दी गई। शेष बच्चों का अब तक सुराग नहीं लग सका है। इस वर्ष पांच माह में 14 बच्चे गायब हुए, जिनमें आठ मिल गए। छह का सुराग नहीं है। 

खेलते-खेलते गायब

टप्पल के जरतौली निवासी डोरीलाल का सात वर्षीय बेटा उमेश सात मई से गायब है। अब तक  सुराग नहीं लग सका। बच्चा घर के बाहर खेल रहा था। 

डेढ़ साल में भी पता नहीं

सासनीगेट के पला कबीरनगर नई आबादी के ढलाई मजदूर सुखदेव का आठ वर्षीय बेटा धर्मेंद्र कुमार 27 नवंबर 18 को घर के बाहर खेल रहा था। खेलते-खेलते गायब हो गया। 

दुकान पर सामान लेने गया था 

गांधीपार्क के दुबे पड़ाव आंबेडकर वाली गली निवासी अशोक कुमार का 12 वर्षीय बेटा रोहन 31 मई 2018 से गायब है। कक्षा आठ में पढ़ रहा यह बालक दुकान पर सामान लेने गया था। 

दस माह पहले गायब

क्वार्सी के किशनपुर निवासी मोहन लाल का आठ वर्षीय बेटा रोहित चार अगस्त 2019 को घर से निकला था, अब तक उसका सुराग नहीं लग सका है। 

इनका भी सुराग नहीं

-अतरौली के सूरतगढ़ निवासी जयसिंह का 15 वर्षीय बेटा मनोज 20 दिसंबर 2017 से लापता है। 

-सिविल लाइन के फिरदौस नगर के मोहम्मद सत्तार का 16 वर्षीय बेटा मोहम्मद इसरार दो जनवरी 2018 से लापता।

- क्वार्सी के किशनपुर के दुर्गा प्रसाद का 15 वर्षीय बेटा आकाश सैनी आठ फरवरी 2019 से गायब। 

-बन्नादेवी के साईं विहार सारसौल के मनमोहन का 16 वर्षीय बेटा दीपांशु 13 फरवरी 2019 से लापता। 

- सिविल लाइन के मोहम्मद सलीम का 14 वर्षीय बेटा मोहम्मद सुजात 26 अक्टूबर 2017 से लापता। 

- खैर कस्बे के पप्पू शर्मा का पांच वर्षीय बेटा करन शर्मा 25 अप्रैल 2018 से लापता। 

- सासनीगेट के मुरलीधर का 17 वर्षीय बेटा कन्हैया 20 जनवरी 2020 से गायब। 

थाना,लापता बच्चे, बरामद,शेष 

जीआरपी,17,14,03 

आरपीएफ, 08,07,01

सिविल लाइन,19,13,06

सासनीगेट,  17,11,06

बन्नादेवी, 10,07,03

क्वार्सी, 10,07,03

कोतवाली, 06,04,02

देहलीगेट, 10,07,03 

गांधीपार्क, 09,05,04

खैर,03,02,01

अकराबाद, 01,01,00

गभाना, 01,01,00 

मडराक, 01,00,01

इगलास, 02,01,01

अतरौली, 03,02,01 

(आंकड़े जनवरी-18 से 31 मई 2020 तक, स्रोत : पुलिस विभाग) 

चाइल्ड लाइन ने 600 बच्चे खोजे 

जिले में लापता व भटकते मिले बच्चों को उनके घर पहुंचाने में उड़ान सोसायटी व चाइल्ड लाइन के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा पूरी टीम के साथ शिद्दत से जुटे हैं। वर्ष 2015 से अब तक सोसायटी करीब 600 बच्चों को तलाश कर उनके घरों पहुंचा चुकी है। एसएसपी मुनिराज का कहना है कि रिपोर्ट लिखने में पुलिस कोताही नहीं बरतती। गुमशुदा बच्चों की तलाश की जाती है। जिसका प्रमाण कई गुमशुदा बच्चों की वापसी है। ऐसे जितने भी मामले हैं पुलिस स्तर से जांच की जा रही है। तलाश के लिए पंपलेट, समाचार पत्र, टीवी चैनल, रेडियो, डीसीआरबी एससीआरबी की मदद से डाटा बेस के आधार पर तलाश किया जाता है। आपरेशन स्माइल भी इसी अभियान का हिस्सा है, जल्द शेष गुमशुदा बच्चे घर वापस लौटेंगे।

जागरण सुझावः लाडलों का रखें ध्यान

- घर की चौखट से स्कूल तक जाने और आने पर कड़ी नजर रखें। 

- आंगन में यदि बच्चा खेल रहा है तो उसको बारी-बारी से चेक करें।

- दोस्तों के साथ खेलने व बाहर न घूमने दें। घर में ही खेलने दें। 

- किसी से रंजिश है तो बच्चों को विशेष सुरक्षा दें।

- बाजार में जाते समय बच्चों को घर में अकेला न छोड़ें। 

-बच्चों की सुरक्षा को पुलिस करे चेकिंग 

-पुलिस स्कूल, संवेदनशील प्वांइट व उसके आस-पास खड़े रहने वाले लोगों की चेकिंग करें। 

- स्कूल व आने-जाने वाले रास्तों पर अचानक चेकिंग करें। 

- पूर्व में बच्चों के अपहरण व हत्या जैसे संगीन मामलों में जेल गए अपराधियों की क्या स्थिति है उसका भी संज्ञान ले। 

- रंजिश से जुड़े मामलों में पुलिस संवेदनशील बने और सख्ती से कार्रवाई करे। अधिकांश अपहरण रंजिशन होते हैं।  

- थाने, चौकी पर होने वाली शांति समिति की बैठकों में बच्चों को सुरक्षित रखने की जानकारी दी जाए।

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