डेंगू ने ली फिर दो की जान, जानें जानलेवा बुखार के बारे में सबकुछ

मथुरा में डेंगू से हुई दो की मौत। आगरा में भी दो छात्रों के डेंगू से पीडि़त होने की हुई पुष्टि। जानलेवा बुखार से बचाव ही है सबसे अच्‍छा इलाज। मच्‍छरों से दूर रहने का करें उपाए।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 06 Oct 2018 01:45 PM (IST) Updated:Sat, 06 Oct 2018 01:45 PM (IST)
डेंगू ने ली फिर दो की जान, जानें जानलेवा बुखार के बारे में सबकुछ
डेंगू ने ली फिर दो की जान, जानें जानलेवा बुखार के बारे में सबकुछ

 आगरा [जेएनएन]: डेंगू का कहर लगातार जारी है। यह बुखार पूरी तरह से अपने पैर पसारता जा रहा है। मथुरा के कराहरी क्षेत्र की ग्राम पंचायत भद्रवन के मजरा नगला भूपसिंह निवासी उमेश बघेल (36) ने डेंगू बुखार के चलते मथुरा के नयति अस्पताल में दम तोड़ दिया। परिजनों ने उमेश को बुखार आने पर वृन्दावन के रामकृष्ण मिशन हास्पीटल में भर्ती कराया था लेकिन वहां भी हालत में सुधार न हुआ तो परिजन तीन दिन बाद मथुरा के नयति हास्पीटल ले गए। जहां इलाज के दौरान शुक्रवार देर रात उसने दम तोड़ दिया। परिजनों ने बताया कि उमेश को डाक्टरों ने डेगू बुखार बताया था। लोगो का कहना है की क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप तो चल ही रहा था अब डेंगू का असर होने की आशंका है। क्षेत्र की जनता ने प्रशासन पर दवा वितरण आदि न करने का आरोप लगाया है। इधर आगरा में भी शुक्रवार को दो छात्रों के डेंगू से पीडि़त होने की खबरें आई थीं। सेंट पॉल्स स्कूल की कक्षा नौ में पढऩे वाले दो छात्रों को डेंगू बुखार होने की पुष्टि हुई थी।

कैसे और कब होता है डेंगू

डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।

कैसे फैलता है

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ के अनुसार डेंगू बुखार से पीडि़त मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीडि़त हो जाता है।

कब दिखती है बीमारी

काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।

कितने तरह का होता है डेंगू

डेंगू तीन तरह का होता है। क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम। इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को डेंगू हेमरेज या सिंड्रोम हुआ है और उसका तुरंत इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार कौन सा है।

साधारण डेंगू बुखार

ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है

बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना। गले में हल्का-सा दर्द। शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना। यह बुखार करीब पांच से सात दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार

नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना, स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना। अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो वह हैमरेज बुखार हो सकता है। ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सकता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम

इस बुखार में ऊपर दिए दोनों बुखारों के लक्षण के साथ बेचैनी और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है। मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है। मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है। तो इसे डेंगू सिंड्रोम ही समझें। इसमें कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूइड बाहर निकल जाता है। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं।

कौन-से टेस्ट

अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराएगा। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है। डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है।

प्लेटलेट्स की भूमिका

आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।

बच्चों में खतरा ज्यादा

बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। अभिभावक ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।

बरतें सावधानी

- ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।

- खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।

- इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।

- हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।

- पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।

- मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।

- खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।

बचाव भी इलाज

- बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।

- अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।

- नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।

- खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।

- आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।

-विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें। एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।

डेंगू से कैसे बचें

डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना। घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें। अगर पानी जमा होने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें। रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें। डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें। मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है। घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।

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