UP Board Result: परिणाम कुछ भी रहे लेकिन बच्चों का मनोबल कमजोर न होने दें
यूपी बोर्ड परीक्षा का परिणाम आ चुका है। सफल होने के साथ कुछ छात्र हुए असफल। परिवार का सहयोग ही बचाएगा अवसाद की चपेट से।
आगरा, जागरण संवाददाता। उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) का रिजल्ट आ चुका है। लाखों परीक्षार्थियों को उनकी मेहनत का फल मिला। साल भर की मेहनत जिसपर टिका था उनका भविष्य। सुनहरे भविष्य की आधारशिला बोर्ड की परीक्षाओं का परिणाम होता है। हजारों परीक्षार्थियों के चेहरे सफलता से खिले भी तो बहुत से छात्र ऐसे भी थे जिनके हाथ निराशा लगी। परीक्षा परिणाम में आशातीत सफलता न मिलने से बहुत से छात्र निराश हुए हैं लेकिन इसे अंतिम परिणाम न मानते हुए जीवन का एक सबक मानकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
परीक्षा परिणाम में आशानुरूप सफल न होने वाले परीक्षार्थियों का इस वक्त संबल उनके परिजन ही हैं। जानकार ऐसे बच्चों के अभिभावकों को विशेष हिदायत देते हैं, कि बच्चों पर बेवजह का दवाब न बनाएं, उन्हें तनाव मुक्त रखें और उनसे संवाद बनाए रखें। उन्हें बताएं कि सफलता और असफलता जीवन के हिस्से मात्र हैं। हर असफलता सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने की राह बनाती है।
आगरा कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग की मनोवैज्ञानिक पूनम चांद ने बताया कि परीक्षा में बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुरूप ही प्रदर्शन किया होगा। ऐसे में अभिभावक उसकी दूसरों से तुलना न करें। जैसा ही परिणाम आया है उसे खुद भी स्वीकार करें और उसे भी समझाएं। साथ ही बात-बात पर ताने न दें। इससे बच्चा अवसाद में जा सकता है। रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद तक का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है, इसलिए उससे बातचीत करें, उसे अकेला न छोड़े और तनावमुक्त रहने के लिए प्रेरित करें।
बच्चा हो गुमसुम, तो करें बात
मनोचिकित्सक डॉ. यूसी गर्ग ने बताया कि रिजल्ट आने से बच्चा यदि गुमसुम है, किसी से बात नहीं कर रहा या चिड़चिड़ा रहा है, तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे समय में उसे अकेले न रहने दें। उसे समझाएं कि यह उनके जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है, उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। विकल्प भी कई हो सकते हैं। जितना भी हो उससे संवाद रखे, तो उसे अवसाद या गलत कदम उठाने से रोका जा सकता है। क्योंकि अक्सर बच्चे रिजल्ट आने से पहले ही तनाव के चलते खुद को नुकसान पहुंचा लेते हैं, जबकि उन्हें परीक्षा में अच्छा किया होता है।