Pulwama Terror Attack ने बढ़ा दिया 'इमोशनल हार्मोन', इसलिये दिख रहा सड़कों पर असर

स्वत: ही सड़कों पर उतर रहे लोग। बाजार किए बंद। पाकिस्तान और आतंकवाद की प्रतीकात्मक अर्थी फूंकी फूंकी जा रही।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 02:56 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 02:56 PM (IST)
Pulwama Terror Attack ने बढ़ा दिया 'इमोशनल हार्मोन', इसलिये दिख रहा सड़कों पर असर
Pulwama Terror Attack ने बढ़ा दिया 'इमोशनल हार्मोन', इसलिये दिख रहा सड़कों पर असर

आगरा, अजय दुबे। पुलवामा आतंकी हमले के विरोध में सड़कों पर हुजूम उमड़ रहा है। जुलूसों की संख्या एक से चार, फिर 100 और अब तो अनगिनत होती जा रही है। हिंदुस्‍तान जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों के साथ लोगों का आक्रोश फूट रहा है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि यह सब यूं ही नहीं हो। इसके पीछे 'इमोशनल हार्मोन हैं।

आगरा में एमजी रोड, हाईवे, बाजार और कॉलोनियों से लेकर देहात हो या फिर एटा, मथुरा, कासगंज, मैनपुरी, फीराेजाबाद गलियों से सड़कों तक पर लोग उमड़ रहे हैं।पहले लगा था कि शहीदों की अंतिम यात्रा तक देश का माहौल ऐसा रहेगा लेकिन रविवार को जगह जगह हो रहे प्रदर्शनों ने यह सोच बदल दी है। विरोध और आक्रोश का सिलसिला अनवरत जारी है। 

विशेषज्ञों के अनुसार, शहीद और शहादत देश के इतिहास से जुड़े हैं। यह लोगों के अवचेतन मस्तिष्क में है। पुलवामा आतंकी हमले को लोग देशभक्ति और निष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। यही भाव जगने के बाद सड़कों पर जुलूस बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए वे स्वत: प्रेरित हुए हैं। कारण, घटना के बाद लोगों में एड्रेनलिन हार्मोन का स्तर बढऩे लगा है। यह रोष लोग पाकिस्तान और आतंकवाद के पुतले और प्रतीकात्मक अर्थी फूंक कर निकाल रहे हैं। इसे खून खौलना भी कह सकते हैं। गुस्साए लोग चाहते हैं कि पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से मिटा दिया जाए।

जाम में फंसे लेकिन गुस्सा नहीं आया

जुलूस और पुतला फूंकने से एमजी रोड सहित जगह-जगह जाम लग रहा है, लोग इसमें फंस भी रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें गुस्सा नहीं आ रहा। कारण, इस दौरान लोगों में डोपामिन हार्मोन का स्तर बढ़ गया। इसने ही लोगों को भावानात्मक रूप से जोडऩे का काम भी किया।

यह है कलेक्टिव कांशियसनेस ऑफ नेशनल्जिम

एक ही संस्कृति और एक ही इतिहास से जुड़े लोगों के देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने पर चेतना जागृत होती है। यही कहे और अनकहे तरीके से प्रदर्शन और आंदोलन को तीव्रता व गतिशीलता प्रदान करती है। यही पुलवामा हमले के बाद देखने को मिला है।

विशेषज्ञों की राय

यह कलेक्टिव कांशियसनेस ऑफ नेशनल्जिम है, इसमें देश के प्रति शहीदों की निष्ठा से लोग सीधे जुड़े हैं। वे देश के प्रति भी अपनी निष्ठा दिखा रहे हैं। इसलिए भीड़ उमड़ती गई।

- डॉ. दिनेश राठौर प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय

आतंकी हमले को देख लोगों में आक्रोश है। शहीदों से इमोशनल जुड़ाव के बाद बदला लेने की भावना से एड्रेनलिन हार्मोन का स्तर बढऩे लगा और सड़कों पर रोष दिखाई दिया।

- डॉ. यूसी गर्ग, मनोचिकित्सक

देशभक्ति की भावना के साथ बदला लेने का आक्रोश लोगों में है। इससे चार से 10 और फिर 100 लोग एकजुट होते गए। कुछ ही देर में सड़कों पर मास मोबलाइजेशन दिखाई देने लगा।

- डॉ. आशुतोष गुप्ता, विभागाध्यक्ष, मनोचिकित्सा विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज।

चौथे दिन भी कम न हुआ गुस्‍सा

शहीदों की चिताएं भले ही ठंडी हो गई हों लेकिन लोगों के दिलों में धधक रही बदले की आग उन्‍हें शांत नहीं होने दे रही। शनिवार को स्‍वत: भारत बंद था, जिसे अभूतपूर्ण भी कहना अतिश्‍योक्ति न होगी। रविवार को भी गुस्‍से के गुबार भरा माहौल बना हुआ है। पुलवामा आतंकी हमले के चौथे दिन भी लोगों का गुस्‍सा सड़कों पर उतरा। सरकार से पाकिस्‍तान को सबक सिखाने की मांग को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया तो कई जगह रविवार को भी बाजाद बंद रखे।

मथुरा के सेंटल मेथोडिस्‍ट चर्च में विशेष प्रार्थना सभा हुई।  कासगंज में पूर्व सैनिकों ने जुलूस निकाल कर पाकिस्‍तान का पुतला फूंका। वहीं फीरोजाबाद के जसराना में आतंकी हमले के विरोध में बाजार रख युवाओं ने प्रदर्शन किया। 

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