Lockdown 3.0: न डरे, न हार मानी! कोरोना से पैदा खतरों और नवजातों के बीच ढाल बनी यह टीम
रेनबो एनआईसीयू टीम ने हर नवजात को किया भर्ती लाॅक डाउन की अवधि में 95 बच्चे रेनबो हाॅस्पिटल लाए गए सब ठीक होकर लौटे। परिवारीजन बोले डाॅक्टर सच में भगवान।
आगरा, जागरण संवाददाता। यह सच है कि कोरोना खतरनाक है, लेकिन जब एक मां अपने बीमार अबोध को गोद में लेकर बिलख रही हो तब मैं यह कैसे सोचूं कि मुझे कोरोना हो जाएगा। तब मैं सोचता हूं कि यह बच्चा बस हंसता और खिलखिलाता हुआ अपनी मां की गोद में ही घर जाएगा। यह कहना है न्यूनेटोलाॅजिस्ट डा. प्रेमाशीष मजूमदार का। लाॅक डाउन की अवधि में रेनबो हाॅस्पिटल की न्यूनेटोलाॅजी टीम को हर कोई सलाम कर रहा है। जब से लाॅक डाउन शुरू हुआ है तब से अब तक यहां 95 नवजात लाए गए हैं और आपको जानकर खुशी होगी कि इनमें से हर एक बच्चा यहां से स्वस्थ होकर अपनी मां की गोद में किलकारियां भरता घर लौटा है। 0 से 1 वर्ष की आयु के इन नवजातों में कई तो ऐसे थे जो बेहद गंभीर हालत में यहां लाए गए थे और जिनके बचने की संभावना बहुत कम थी। डा. प्रेमाशीष के साथ ही उनकी एनआईसीयू टीम में डा. विशाल गुप्ता, डा. संजीव अग्रवाल, डा. मानवेंद्र सिंह, डा. विनय कुमार मित्तल, डा. हर्ष, डा. सुनील यादव, डा. तनुज फौजदार के प्रति स्वजन कृतज्ञता जता रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के चलते लाॅक डाउन में बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में रेनबो हाॅस्पिटल और यहां के डाॅक्टरों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
दम घुटने जैसे मामले भी आए
एनआईसीयू टीम ने बताया कि लाॅक डाउन की यह अवधि नवजातों के लिए भी बडे़ संकट की है। दूर-दूराज से बच्चों को यहां लाया जा रहा है। कई मामले तो बेहद जटिल थे। अगर समय रहते ये बच्चे यहां पहुंचते तो इनकी जान को खतरा हो सकता था। एक बच्चे को तो दम घुटने की स्थिति में लाया गया था। उसके फेफड़ों में पानी भर गया था। 40 से 45 बच्चे ऐसे थे, जिन्हें क्रिटिकल केयर क जरूरत थी और कई दिनों तक वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ा।
दूध पिलाते वक्त मास्क पहनें, बच्चे को ज्यादा न छुएं
डा. प्रेमाशीष मजूमदार ने बताया कि कोरोना के इन मुश्किल हालातों में यहां आने वाले बच्चों को कोरोना से बचाव पर भी जानकारी देकर वापस भेजा जा रहा है। नई माताएं जब भी अपने नवजात को दूध पिलाएं तो एन 95 मास्क का इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि सांस के संपर्क में बच्चे को न आने दें। दूध पिलाते वक्त उसे हाथ से ज्यादा न छुएं। पहले अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएं। अगर आपको फ्लू के लक्षण हैं तो ब्रेस्ट मिल्क को किसी अलग बर्तन में निकालकर नवजात को पिला सकते हैं। घर के बाकी सदस्य भी नवजात के ज्यादा नजदीक न जाएं। उसे बार-बार छूने की कोशिश न करें। बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित रखें।
रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि फिलहाल ऐसी कहीं से कोई खबर नहीं है कि कोविड-19 से संक्रमित किसी गर्भवती महिला से उसके गर्भ में मौजूद शिशु तक यह वायरस पहुंचा है। फिलहाल यह वायरस किसी गर्भवती महिला के गर्भ में मौजूद तरल या ब्रेस्ट मिल्क में भी नहीं पाया गया है। लेकिन हां किसी संक्रमित महिला से यह नवजात में तब पहुंच सकता है जब वह एहतियात न बरतेंं।