Mughal Emperor Akbar: 450 साल पहले फतेहपुर सीकरी में मुगल भी लेते थे स्टीम बाथ, ऐसे करता था काम

Mughal Emperor Akbar फतेहपुर सीकरी में फैजी हाउस के पास स्थित हमाम में एएसआइ ने किया संरक्षण का काम। मुगल शहंशाह अकबर की डेढ़ दशक तक फतेहपुर सीकरी रही थी राजधानी। अकबर ने यहां कई महलों का निर्माण कराया था।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Nov 2022 06:21 PM (IST) Updated:Mon, 28 Nov 2022 06:27 PM (IST)
Mughal Emperor Akbar: 450 साल पहले फतेहपुर सीकरी में मुगल भी लेते थे स्टीम बाथ, ऐसे करता था काम
Mughal Emperor Akbar: फतेहपुर सीकरी में मुगल भी लेते थे स्टीम बाथ।

आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल शहंशाह अकबर द्वारा लाल पत्थरों से बनवाई गई फतेहपुर सीकरी में स्टीम बाथ की भी व्यवस्था थी। आज से तकरीबन 450 वर्ष पूर्व मुगल काल में यहां के लोग स्टीम बाथ लिया करते थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा हाल ही में पैलेस कांप्लेक्स के बाहर फैजी हाउस के नजदीक स्थित हमाम के संरक्षण के काम के दौरान यह तथ्य सामने आए हैं। अकबर के समय पर फतेहपुर सीकरी करीब डेढ़ दशक तक मुगल सल्तनत की राजधानी रही थी।

दरगाह के पार्श्व में पाथवे का निर्माण कराया

एएसआइ ने कुछ माह पूर्व सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह के पार्श्व में पाथवे का निर्माण कराया था। पाथवे बनाते समय यहां फैजी हाउस की उत्तर दिशा में दुर्दशा के शिकार हमाम की तरफ भी विभाग ने ध्यान दिया। यहां कूड़ा-करकट व मलबा हटवाया गया। हमाम में मुख्य कक्ष के फर्श के नीचे भूमिगत भट्ठी और उससे जुड़े कक्ष तक पानी ले जाने को बनी हुई भूमिगत नालियां मिलीं।

भट्ठी व नालियों की सफाई कराने के साथ भट्ठी की मरम्मत की गई। यहां टीप (प्वाइंटिंग), स्टोन मेसनरी वर्क, स्टोन वर्क व लाइम पनिंग का काम किया गया। हमाम की बाहर की तरफ दीवारों में जो छोटे-छोटे पौधे उग आए थे, उन्हें हटाया गया। हमाम के गुंबद की ऊपर व अंदर की तरफ से मरम्मत की गई। इस काम पर करीब सात लाख रुपये व्यय हुए हैं।

हमाम की दीवारों पर स्टीम बाथ के साक्ष्य

अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि हमाम की दीवारों पर जिस तरह के साक्ष्य मिले हैं, उससे यह संभावना है कि यहां स्टीम बाथ ली जाती होगी। यह जगह पैलेस कांप्लेक्स से बाहर है। इसका उपयोग प्रथम श्रेणी के दरबारियों द्वारा किया जाता होगा।

दीवार पर छोड़े निशान

हमाम की छत पर चूने का प्लास्टर हो रहा है। वाष्पीकरण के दौरान पानी की बूंदें छत पर एकत्र होने के बाद नीचे आती थीं। पानी की बूंदों ने नीचे आते हुए चूने के प्लास्टर पर अलग रंग के निशान छोड़े। इसके आधार पर एएसआइ के विशेषज्ञ हमाम में स्टीम बाथ लिए जाने का दावा कर रहे हैं।

ऐसे करता था काम

मुख्य कक्ष में बनी भूमिगत भट्ठी को जलाया जाता था और उसके ऊपर कढ़ाही में पानी गर्म किया जाता था। इसे अलग-अलग बनी भूमिगत नालियों से हमाम तक पहुंचाया जाता था। इससे भाप पूरे हमाम में फैलती थी।

रोमन से किया था अंगीकार

स्टीम बाथ में पानी की जगह भाप से हाया जाता है। इसमें कमरे को 80 से 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सेट किया जाता है। लोग भाप से स्नान करते हैं, इसलिए इसे स्टीम बाथ कहते हैं। मुगलों व पारसियों ने इसे रोम के लोगों से अंगीकार किया था। इंग्लैंड में बाथ शहर भी है। इसे वर्ष 1997 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

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आगरा किला व फतेहपुर सीकरी में हैं हमाम

आगरा में मुगलों ने अपने निवास के लिए आगरा किला और फतेहपुर सीकरी का इस्तेमाल किया था। आगरा किला में शीश महल, शाही हमाम के साथ ही सेना के अधिकार क्षेत्र में स्थित भाग में एक हमाम है। फतेहपुर सीकरी में जेरे हमाम, हकीम हमाम के साथ दीवान-ए-आम, हिरन मीनार और फैजी हाउस के पास हमाम बने हुए हैं। 

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