अटल यादेें: बिहारीजी का प्रसाद ग्रहण कर अटल ने ली थी पीएम पद की शपथ Agra News

मथुरा से पहुंचे दो कार्यकर्ताओं को सुरक्षाकर्मियों ने रोका तो खुद बुला लिया। मजाक में कहा था समारोह के पास मत मांगना खत्म हो चुके हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 25 Dec 2019 01:55 PM (IST) Updated:Wed, 25 Dec 2019 01:55 PM (IST)
अटल यादेें: बिहारीजी का प्रसाद ग्रहण कर अटल ने ली थी पीएम पद की शपथ Agra News
अटल यादेें: बिहारीजी का प्रसाद ग्रहण कर अटल ने ली थी पीएम पद की शपथ Agra News

आगरा, नवनीत शर्मा। वाकया वर्ष 1996 का है। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद की पहली बार शपथ लेने अपने दिल्ली स्थित आवास से निकलने ही वाले थे, तभी मथुरा से दो कार्यकर्ता बिहारीजी का प्रसाद (पेड़ा) लेकर पहुंचे। सुरक्षा कर्मियों ने रोक दिया। अटल जी ने दोनों को पहचान लिया और सुरक्षा कर्मियों से आने को कहा। सुरक्षा कर्मियों के मना करने के बावजूद वे प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही पीएम पद की शपथ लेने रवाना हुए।

अटल बिहारी को मथुरा और ब्रजवासियों से बेहद लगाव था, वह मथुरा अक्सर आते रहे। यहां से चुनाव भी लड़ा। वर्ष 1996 में जब वे प्रधानमंत्री बनने वाले थे तो मथुरा से दो कार्यकर्ता वीरेंद्र अग्रवाल और रामप्रसाद कमल(अब दिवंगत) बांकेबिहारीजी का प्रसाद(पेड़े) लेकर पहुंचे। पूर्व पालिकाध्यक्ष वीरेंद्र अग्रवाल यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि अटल जी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए दिल्ली स्थित आवास से निकल रहे थे। सुरक्षा कर्मियों ने हम दोनों को अटलजी के पास जाने से रोक दिया। अटलजी के सरल स्वभाव का इसी से पता लग गया कि भीड़ में भी उन्होंने हम दोनों को पहचान लिया और सुरक्षा कर्मियों को आदेशित किया कि दोनों को आने दिया जाए।

बकौल वीरेंद्र अग्रवाल, जब हम दोनों ने उन्हें प्रसाद(पेड़े) दिए तो सुरक्षा कर्मियों ने खाने के लिए उन्हें रोक दिया। इस पर अटलजी बोले कि अगर इसमें भी मिलावट है तो मुङो भगवान भी नहीं बचा सकता है। उन्होंने पेड़े बड़े ही स्वाद से खाए। फिर मजाक करते हुए कहा कि भाई, शपथ ग्रहण समारोह के पास मत मांगना, खत्म हो चुके हैं। इस पर हमने (वीरेंद्र अग्रवाल) कहा कि हमें पास की आवश्यकता नहीं हैं, हम तो वैसे ही पास हो गए।

पूर्व पालिकाध्यक्ष वीरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि यह हमारे लिए हैरानी की बात थी कि इतनी भीड़ में भी अटलजी ने हमको पहचान लिया। सुरक्षा कर्मियों के मना करने के बाद भी वह पेड़ा खाकर ही शपथ ग्रहण समारोह के लिए निकले।

भाती थी कचौड़ी, जलेबी

वीरेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि अटलजी जब भी मथुरा आते थे, कचौड़ी, जलेबी खाना नहीं भूलते थे। वह यहां आकर ब्रजवासियों के साथ ही घुलमिल जाते थे। यमुना में नौकाविहार करते हुए संगठन की बात करते और शौकिया कभी-कभी भांग का सेवन भी कर लेते थे।

हार गए थे लोकसभा चुनाव

अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ से 1957 में लोकसभा चुनाव भी लड़े थे, लेकिन इस चुनाव में वे हार गए थे।

बरसात मे भीगते हुए निकले चुनाव प्रचार को

सन 1974 में जनसंघ से विधायक का चुनाव लड़ रहे बांके बिहारी माहेश्वरी का चुनाव प्रचार करने अटल जी यहां आए थे। वे गांधी पार्क स्थित जनसंघ कार्यालय पर ठहरे थे। उनको भगत सिंह पार्क डैंपियर नगर में चुनावी सभा करनी थी। तेज बरसात होते देख कार्यकर्ताओं ने सभा को रद करने का आग्रह किया, लेकिन बरसात में भीगते हुए ही सभास्थल पर पहुंचे। उनके साथ बांके बिहारी माहेश्वरी, वीरेंद्र अग्रवाल, सुरेशकृष्ण चंद्र भार्गव, राधाकृष्ण खंडेलवाल, नवनीत लाल शर्मा, हरिप्रसाद चतुर्वेदी, ओमप्रकाश पारीख, बोहरे उत्तम चंद बजाज आदि भी थे। अटल जी लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज और तेजवीर का चुनाव प्रचार करने आए थे।

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