सात फेरों को बचाने के लिए पति से सात बार किया था समझौता, पढ़ें शमसाबाद हत्‍याकांड का पूरा सच

आगरा में पति ने पत्‍नी की हत्‍या कर खुद को मार ली थी गोली। परिजनों के समझाने पर सात बार पति को माफ करके लौटी थी सुमन।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 28 Nov 2019 03:10 PM (IST) Updated:Thu, 28 Nov 2019 08:12 PM (IST)
सात फेरों को बचाने के लिए पति से सात बार किया था समझौता, पढ़ें शमसाबाद हत्‍याकांड का पूरा सच
सात फेरों को बचाने के लिए पति से सात बार किया था समझौता, पढ़ें शमसाबाद हत्‍याकांड का पूरा सच

आगरा, जेएनएन। सात फेरों को बचाने के लिए सुमन ने दस साल के दौरान पति से सात बार समझौता किया। मगर, पति के मन में शक के बीज को वह नष्ट नहीं कर सके। आखिरी बार उसे राजीनामा करके लाए पति ने हत्या करने के बाद खुद को भी गोली मार ली थी। बुधवार की शाम को गांव में दंपती का अंतिम संस्कार किया गया।

शमसाबाद के गढ़ी जहान सिंह में मंगलवार की शाम को सुमन की हत्या करने के बाद पति संजय ने भी अपनी कनपटी पर गोली मारकर खुदकशी कर ली थी। स्वजनों ने बताया कि सुमन और उसकी छोटी बहन की शादी सगे भाइयों से की थी। सुमन का पति संजय राजमिस्त्री था। वह शक्की स्वभाव का था। इसके चलते दोनों में आए दिन विवाद होता था। मामला शांत कराने के लिए सुमन पिता के पास मायके आ जाती थी। परिजनों के समझाने पर बच्चों के भविष्य के खातिर पति के पास लौट आती थी।

सुमन ने पति से सात बार समझौता किया। वह दीपावली के बाद दौज पर पति से झगड़ा होने पर मायके चली आई थी। पति ने दो दिन पहले उसे फोन किया, दोबारा झगड़ा नहीं करने का आश्वासन दिया। इस पर वह दिल्ली से धौलपुर मायके में भाई के पास आ गई। पति संजय उसे सोमवार की शाम को अपने साथ लेकर आया था। मंगलवार सुबह भी वह काम पर नहीं गया। शाम को गांव में ही एक शादी में दावत में जाने की तैयारी कर रहा था। इसलिए पत्नी के पास उपर गया, वहां दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। संजय ने सुमन को गोली मार दी।

बुधवार को दंपती के पोस्टमार्टम के दौरान गोली नहीं मिलने पर उनके शवों को जिला अस्पताल एक्सरे कराने भेजा गया। दंपती के शवों का गांव में शाम को अंतिम संस्कार किया गया।

अनाथ हुए बालक

संजय और सुमन के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा नौ वर्षीय विपिन और छोटा पांच वर्षीय मनु है। इन दोनों को ही नहीं पता कि उनके साथ क्या हो गया है। दोनों अनाथ हो गए हैं। स्वजन दोनों बच्चों को लेकर गंभीर थे। वह उन्हें इस बात का अहसास नहीं होने देना चाहते थे कि उनके मां-बाप अब इस दुनिया में नहीं रहे। मंगलवार शाम को स्वजनों ने उन्हें पड़ोसी के घर में बैठा दिया था। वे माता-पिता की मौत से बेखबर थे।

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