सलाखाें के पीछे रोजगारः आगरा केंद्रीय कारागार में बने फिनायल और साबुन की सूबे की 30 जेलों में है धाक

सलाखाें के पीछे रोजगारः जेल की चहारदीवारी में फिनायल और साबुन उद्योग दो दर्जन बंदियों को दे रहा रोजगार। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जेलों में भेजा जाता हैे यहां तैयार किया गया माल। केंद्रीय कारागार में बंदियों के पुनर्वास के लिए कई उद्योग संचालित हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 09:35 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 09:35 AM (IST)
सलाखाें के पीछे रोजगारः आगरा केंद्रीय कारागार में बने फिनायल और साबुन की सूबे की 30 जेलों में है धाक
केंद्रीय कारागार में बंदियों के पुनर्वास के लिए कई उद्योग संचालित हैं।

आगरा, अली अब्बास। मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए। केंद्रीय कारागार के दो दर्जन बंदियों ने भी यही किया। उन्होंने जेल में रहने के दौरान रोजगार के अवसर तलाश लिए। यहां संचालित फिनायल और साबुन उद्योग की धाक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 30 जेलों में है । यहां से इन दोनाें उत्पादों को तैयार करके इन जेलों में आपूर्ति की जाती है।

केंद्रीय कारागार में बंदियों के पुनर्वास के लिए कई उद्योग संचालित हैं। इससे कि बंदी यहां से सजा काटकर बाहर निकलने के बाद दोबारा अपराध के रास्ते पर जाने की जगह अपने पैरों पर खड़े हो सकें। अपने और परिवार के लिए आजीविका कमा सकें। इसके लिए केंद्रीय कारागार में ही इन बंदियों को विभिन्न उद्योगों में प्रशिक्षित किया जाता है । इनमें से एक फिनायल और साबुन उद्योग भी है। जिसमें दो दर्जन से ज्यादा बंदी काम कर रहे हैं।

केंद्रीय कारागार को मुख्यालय द्वारा कच्चा माल उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जेलों द्वारा डिमांड के आधार पर फिनायल और साबुन तैयार करके भेजा जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 30 जेल आगरा केंद्रीय कारागार में बंदियों द्वारा बनाए जाने वाले फिनायल और साबुन की नियमित ग्राहक हैं। यह फिनायल जेलों में साफ-सफाई के काम आता है। जबकि साबुन बंदियों को उनके दैनिक कार्यो के लिए दिया जाता है। केंद्रीय कारागार को इससे हर साल लाखों रुपये की कमाई भी होती है।

बंदियों को मिला रोजगार

फिनायल और साबुन उद्योग ने बंदियों को जेल के अंदर भी रोजगार दिया हुआ है। इसमें कुशल कारीगर काे 40 रुपये प्रतिदिन, अर्ध कुशल को 30 और अकुशल कारीगर को 25 रुपये मेहनताना दिया जाता है । इससे बंदियों के खातों में महीने और साल दर साल ठीक ठाक रकम जमा होती जाती है। यह रकम उनके सजा काटकर बाहर निकलने पर अपना काम शुरू करने के काम भी आती है।

केंद्रीय कारागार मे बनने वाले फिनायल और साबुन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 30 जेलों में आपूर्ति किया जाता है ।इसका उद्देश्य बंदियों द्वारा सजा काटकर बाहर जाने पर उनके पुर्नवास में मदद करना भी है । वर्तमान में दो दर्जन बंदी इस उद्योग से जुडे हुए हैं।

वीके सिंह वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार 

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