संस्कृति के दूत बनेंगे पर्यावरण के प्रहरी, UNEP नेे दिया प्रशिक्षण्‍ा Agra News

गाइडों को यूनाइटेड नेशंस इनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) द्वारा उन्हें प्रशिक्षण दिया गया।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 05 Feb 2020 05:35 PM (IST) Updated:Wed, 05 Feb 2020 08:28 PM (IST)
संस्कृति के दूत बनेंगे पर्यावरण के प्रहरी, UNEP नेे दिया प्रशिक्षण्‍ा Agra News
संस्कृति के दूत बनेंगे पर्यावरण के प्रहरी, UNEP नेे दिया प्रशिक्षण्‍ा Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। देश की संस्कृति के दूत कहे जाने वाले गाइड ताजनगरी में पर्यावरण के प्रहरी बनेंगे। स्मारकों का पर्यटकों को भ्रमण कराने के दौरान वे उन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने के लिए जागरूक करेंगे। इसके लिए यूनाइटेड नेशंस इनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) द्वारा उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है।

आगरा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानी आते हैं। उन्हें स्मारकों के साथ यहां की संस्कृति से गाइड ही रूबरू कराते हैं। अब उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी और सौंपी गई है। दरअसल, सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन रही है। आगरा में तीन जून, 2018 को 'ताजमहल डिक्लेरेशन टू बीट प्लास्टिक पोल्यूशन हुई थी। इसमें तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने स्मारकों को प्लास्टिक फ्री बनाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की शपथ दिलाई गई थी। सिंगल यूज प्लास्टिक के गिलास, प्लेट, कटोरी, चम्मच आदि की बजाय रीसाइकिल किए जाने योग्य या पानी की स्टील की बोतल के इस्तेमाल पर जोर दिया गया था। सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक तो लगाई ही गई, अब इसमें एक कदम और उठाया गया है। सोमवार को दि इंटरनेशनल स्कूल ऑफ आगरा (टीसा) में यूपीटी गाइडों को यूनाइटेड नेशंस इनवायरमेंट प्रोग्राम द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से अवगत कराने और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को प्रेरित किया गया। प्रशिक्षण में 225 के करीब गाइड शामिल हुए थे। अब गाइड पर्यटकों को इसके लिए प्रेरित करेंगे।

यूपी स्टेट टूरिस्ट गाइड्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक दान ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। हम पर्यटकों को सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को प्रेरित करेंगे।

सिंगल यूज प्‍लास्टिक का प्रयोग हो सकता है घातक

यह प्लास्टिक कास्नोजेनिक होता है और इसमें कैंसरकारक रसायन होते हैं। आपने बहुत बार देखा होगा कि सड़कों पर गाय, कुत्ते या अन्य छुट्टा जानवर कचरा खा रहे होते हैं। इस कचरे में सिंगल यूज प्लास्टिक भी होता है जोकि इन जानवरों के पेट में जाने के बाद इकट्ठा होता रहता है क्योंकि यह पच नहीं सकता। कुछ दिनों बाद यह जानवर बीमार होने लगते हैं और तड़पते हुए दम तोड़ देते हैं। जमीन पर जानवरों के सिंगल यूज प्लास्टिक से परेशान होने तक ही बात सीमित नहीं रह गयी है बल्कि इससे समुद्री जीव भी प्रभावित हो रहे हैं। प्लास्टिक से नदियों, झीलों, तालाबों के जीवों को बहुत नुकसान होता है। प्लास्टिक की वजह से हर साल लगभग 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की मौत होती है, यही नहीं 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक मिला है। दरअसल जब समुद्र के अंदर समुद्री जीव भोजन की तलाश में निकलते हैं तो अनजाने में प्लास्टिक का सेवन कर जाते हैं। और यही एक बड़ा कारण है कि आज लगभग 700 समुद्री जीव लुप्त होने की कगार पर पहुँच गये हैं। यहाँ यह आंकड़ा गौर करने लायक है कि जितने प्लास्टिक का उपयोग होता है उसका करीब 91 फीसदी रिसाइकल नहीं होता।

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