Meet At Agra: 3D टेक्निक से बनेेेेगा वर्चुअल शूज, फुटवियर इंडस्‍ट्री की मुश्किल करेगा आसान Agra News

शू फेयर-मीट एट आगरा में शनिवार को दिया गया प्रेजेंटेशन। सैंपल की लागत और बनने में लगने वाला समय होगा कम।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 10 Nov 2019 08:25 AM (IST) Updated:Sun, 10 Nov 2019 08:25 AM (IST)
Meet At Agra: 3D टेक्निक से बनेेेेगा वर्चुअल शूज, फुटवियर इंडस्‍ट्री की मुश्किल करेगा आसान Agra News
Meet At Agra: 3D टेक्निक से बनेेेेगा वर्चुअल शूज, फुटवियर इंडस्‍ट्री की मुश्किल करेगा आसान Agra News

आगरा, निर्लोष कुमार। प्रतिस्पर्धा के युग में दुनिया के साथ कदमताल बढ़ाते हुए शू इंडस्ट्री भी विकास को नई तकनीकी व मशीनरी अपना रही है। इंटरनेशनल लेदर, फुटवियर, कंपोनेंट एंड टेक्नोलॉजी फेयर मीट एट आगरा-2019 में शनिवार को फुटवियर सैंपल के निर्माण के क्षेत्र में एक नई क्रांति पेश की गई। अब बायर को दिखाने के लिए थ्री-डी टेक्निक से वर्चुअल शूज चंद घंटों में ही तैयार किया जा सकता है। डिमांड के अनुरूप कलर, साइज, पैटर्न भी बदले जा सकते हैं। इससे सैंपल तैयार करने में लगने वाले समय व लागत को कम किया जा सकता है।

आगरा ट्रेड सेंटर में शनिवार को तकनीकी सत्र में कंपनी रेड 21 के प्रतिनिधि एंटोनियो ने थ्री-डी टेक्निक पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि जूता उद्योग में सैंपल बहुत उपयोगी हैं। उन्हीं को देखकर बायर्स ऑर्डर देते हैं। इन्हें तैयार करने में कम से कम दो सप्ताह तक का समय लगता है। मनमुताबिक नहीं होने पर अधिक समय भी लग सकता है, लेकिन सॉफ्टवेयर की मदद से थ्री-डी टेक्निक से सैंपल तैयार करने का काम एक दिन में हो सकता है। इसमें पैटर्न चेंज करना हो तो वो भी आसानी से हो सकता है। वर्चुअल सैंपल रेडी हो तो दो मिनट में थ्री-डी प्रिंट लेकर बायर्स को दिखा सकेंगे। बायर्स को सैंपल दिखाने या भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। जूते में प्रयोग किए गए मैटेरियल की कीमत भी सैंपल पर क्लिक कर पता की जा सकती है।

एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि आगरा में अभी टू-डी टेक्निक से पैटर्न कटिंग होती है। थ्री-डी टेक्निक जूता इंडस्ट्री में क्रांति ला सकती है। इससे हम शूज को वर्चुअल बनाकर दिखा सकते हैं। बायर्स की पसंद के अनुसार हम थ्री-डी टेक्निक से डिजाइन, कलर, मैटेरियल आदि में आसानी से तब्दीली भी कर सकेंगे। यह समय, लागत, श्रम बचाने वाली तकनीक है। टेस्टिंग लैब और आगरा डिजाइन स्टूडियो में यही तकनीक इस्तेमाल की जाएगी। वहां कोई औजार नहीं होंगे। सब कुछ कंप्यूटर पर होगा।

वर्चुअल शूज

वर्चुअल शूज (आभासी जूता) सॉफ्टवेयर की सहायता से तैयार थ्री-डी इमेज है। इसके माध्यम से जूते के डिजाइन, पैटर्न, मैटेरियल, कीमत आदि के बारे में जाना जा सकेगा।

वेस्ट घटाओ, देश बचाओ

फेयर में वेस्ट घटाओ, देश बचाओ का संदेश दिया जा रहा है। यहां घरेलू फलों व सब्जियों के छिलकों, पेड़ों की पत्तियों से 24 घंटे में खाद बनाने वाली मशीनें आई हुई हैं। 25 किग्रा क्षमता वाली मशीन की कीमत तीन लाख रुपये है।

अपर बनाती है मशीन

फेयर में जर्मन तकनीक की 17 हजार डॉलर और चीनी तकनीक की करीब 12 हजार डॉलर की स्पोट्र्स शूज के अपर बनाने की मशीनें आई हुई हैं। यह मशीन साधारण डिजाइन के स्पोट्र्स शूज के 250 कपड़े के अपर एक दिन में बना सकती है। अधिक डिजाइन वाले 100 से 125 अपर एक दिन में इस मशीन से बन सकते हैं। 

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