कालिंदी एक्स. विस्फोटक की तीव्रता आक रहे आगरा के फोरेंसिक वैज्ञानिक बना चुके हैं ये रिकॉर्ड

कानपुर में हुआ था विस्फोट टूंडला में ट्रेन रोक की थी जांच। विस्फोटक की तीव्रता पर रविवार को दे सकते हैं परीक्षण रिपोर्ट।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 11:50 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 11:50 AM (IST)
कालिंदी एक्स. विस्फोटक की तीव्रता आक रहे आगरा के फोरेंसिक वैज्ञानिक बना चुके हैं ये रिकॉर्ड
कालिंदी एक्स. विस्फोटक की तीव्रता आक रहे आगरा के फोरेंसिक वैज्ञानिक बना चुके हैं ये रिकॉर्ड

आगरा, जागरण संवाददाता। कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस के टॉयलेट में हुए विस्फोट की जांच को फोरेंसिक लैब के वैज्ञानिकों ने चुनौती के रूप में लिया है। वैज्ञानिक रविवार तक अपनी परीक्षण रिपोर्ट दे सकते हैं। 

ट्रेन में जिस विस्फोटक से ब्लास्ट किया गया, उसकी तीव्रता का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके परीक्षण में कम से कम 72 घंटे का समय लगता है। खुफिया एजेंसियां अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों की परीक्षण रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के सामने चुनौती न केवल विस्फोटक की तीव्रता की सटीक जानकारी देना है बल्कि समय की भी है। अन्य सुरक्षा एजेंसियों की जांच को रफ्तार देने के लिए वैज्ञानिक इस जांच को जल्दी से जल्दी देने में जुटे हुए हैं। संभवतया ये परीक्षण रिपोर्ट रविवार को अधिकृत एजेंसी को सौंपी जा सकती है।

365 दिनों में 10,500 जांच का रिकार्ड

आगरा फोरेंसिक लैब के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2018 में परीक्षणों का रिकार्ड बना दिया। उन्होंने 365 दिन में 10,500 केसों का परीक्षण किया। यहां की लैब में विस्फोटक, बिसरा, पॉक्सो और दहेज हत्या, जहरीली शराब, मादक पदार्थों (एनडीपीएस) से संबंधित मामलों की जांच होती है। पॉक्सो के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने के चलते उनसे संबंधित केसों की जांच का निस्तारण दो महीने में करने के आदेश हैं। वैज्ञानिकों द्वारा इन केसों की दो महीने की जगह दो सप्ताह में जांच करके रिपोर्ट मुख्यालय और पुलिस को भेज रही है।

ये महत्वपूर्ण जांच हुईं

-निठारी कांड

-भट्ठा पारसौल कांड

-मेरठ का नौचंदी मेला अग्निकांड

-डीईआइ शोध छात्रा हत्याकांड

-विधानसभा में पीईटीएन विस्फोटक कांड

100 साल से ज्यादा पुरानी है लैब

आगरा फोरेंसिक लैब 100 से ज्यादा पुरानी है। पहले इसे केमिकल एग्जामिनर लैब के रूप में जाना जाता था। जो स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आती थी। जबकि लखनऊ की सीबीआइडी लैब पुलिस विभाग अधीन आती थी। वर्ष 1979 में दोनों लैब की विधि विज्ञान प्रयोगशाला के रूप में स्थापना की गई। एडीजी तकनीकी सेवाएं आशुतोष पांडेय के अनुसार पॉक्सो के केसों का दो महीने में निस्तारण कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए बॉयोलॉजी और डीएनए विभाग को विशेष निर्देश दिए हैं। मेरे स्तर से इनकी प्रतिदिन मानीटरिंग की जाती है। 

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