World Earth Day: हरियाली के ये पहरेदार पर्यावरण संरक्षण के लिए पेश कर रहे नजीर

सरकारी उदासीनता के बीच निजी स्तर पर पर्यावरण प्रेमी कर रहे प्रयास। जन-जन में जगा रहे पौधरोपण की अलख।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 10:41 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 10:41 AM (IST)
World Earth Day: हरियाली के ये पहरेदार पर्यावरण संरक्षण के लिए पेश कर रहे नजीर
World Earth Day: हरियाली के ये पहरेदार पर्यावरण संरक्षण के लिए पेश कर रहे नजीर

आगरा, निर्लोष कुमार। ताज ट्रेपेजियम जोन में आने वाली ताजनगरी में पर्यावरण संरक्षण को सरकारी स्तर पर भले ही कागजी खानापूर्ति होती हो, लेकिन निजी स्तर पर शहर में कई व्यक्ति और संगठन भविष्य की पीढ़ियों को पेड़ों की छांव और स्वच्छ हवा दिलाने को जी-जान से जुटे हैं। कोई शहर के हर कोने में पौधरोपण कर हरियाली का भगीरथ बना हुआ है, तो कोई प्लास्टिक-पॉलीथिन के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए उसका समाधान भी सुझा रहा है।

अनफोल्ड फाउंडेशन

अनफोल्ड फाउंडेशन द्वारा शहर में पॉलीथिन और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को शहर में जगह-जगह जागरूक किया जाता था। पॉलीथिन के दुष्प्रभाव बताए जाते थे। अब हाल ही में फाउंडेशन ने नई मुहिम शुरू की है। संस्था प्लास्टिक की बोतलों में पॉलीथिन को भरकर लोगों को ईको ब्रिक्स बनाना सिखा रही है। शहरवासियों ने इसे पसंद किया है। लाजपत कुंज पार्क में संस्था द्वारा ईको ब्रिक्स से बेंच और स्टूल बनाए गए हैं। हालांकि, संगठन का यह खूबसूरत प्रयास कुछ लोगों को रास नहीं आया। उन्होंने एक स्टूल को क्षति पहुंचा दी।

पांच लोगों पर एक पेड़

वन विभाग द्वारा वर्ष 2010 में ताजनगरी के शहरी क्षेत्र में पेड़ों की स्थिति पर सर्वे कराया गया था। वन विभाग से सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक आरपी भारती बताते हैं कि इसमें 45 सेमी व्यास से अधिक (पेड़ कहने योग्य) के पेड़ों की गिनती की गई थी। पांच लाख पेड़ शहरी क्षेत्र में पाए गए थे। इसके बाद विकास योजनाओं और तूफान की भेंट चढ़कर बढ़ी संख्या में पेड़ कुर्बान हुए हैं। वन विभाग द्वारा पौधरोपण भी किया गया है, लेकिन पौधों को पेड़ बनने में काफी वक्त लगता है। शहर की आबादी 20 लाख से अधिक है। औसतन पांच लोगों पर एक पेड़ ताजनगरी में है, जो चिंताजनक है।

इन पेड़ों के अस्तित्व पर संकट

विलायती बबूल के चलते कदंब, तमाल, रेमजा, कैथ, पलाश, बहेड़ा, हर्र, धौं, देसी बबूल, अंकोत, दतरंगा, कुमठा, बेल, ¨हगोट, पीलू, खिरनी, दूधी, छोंकर, सहजन, बेर आदि के पेड़ प्रभावित हो रहे हैं। धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है। वहीं करील, हेमकंद, अडूसा, चित्रक, वज्रदंती, अरनी, गुग्गल की झाड़ियों के लिए भी मुसीबत बढ़ रही है।

विलायती बबूल हटाकर लगाई जाएं देसी प्रजाति

आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव केसी जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर प्रदेश के जंगलों में बढ़ते विलायती बबूल (प्रोसोफिस ज्यूलीफ्लोरा) की रोकथाम को कदम उठाने की मांग की है। विलायती बबूल के बढ़ने की वजह से देसी प्रजाति के पेड़-पौधों के अस्तित्व को संकट खड़ा हो गया है। उन्हांेने बताया कि दिल्ली विवि के अध्ययन के अनुसार विलायती बबूल की जड़ें 21 मीटर तक लंबी होती हैं, जो भूजल को सोखती हैं। यह मिट्टी की नमी को खत्म कर देता है, जिससे भूगर्भ जल के स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

हरविजय वाहिया

ताजनगरी में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण प्रेमी हरविजय वाहिया को ताजनगरी में हरियाली का भगीरथ ही कहना उपयुक्त होगा। ताज के शहर को हरा-भरा बनाने की मुहिम उन्होंने वर्ष 2010 में शुरू की थी। मंटोला नाले के समीप सफाई कराकर पौधरोपण किया। आज क्षेत्र की हालत बदल चुकी है। वो अब तक जैन दादाबाड़ी शाहगंज, करकुंज, एमजी रोड टू, सिटी स्टेशन, केंद्रीय हंिदूी संस्थान, सेंट पीटर्स कॉलेज, सेंट पॉल्स स्कूल के पास परिषदीय स्कूल, एत्माद्दौला व्यू प्वॉइंट, आरबीएस इंटर कॉलेज, ताज नेचर वॉक, आगरा कॉलेज, सेंट जोंस कॉलेज आदि जगहों पर पौधरोपण कर चुके हैं। आगरा कॉलेज के बाहर फुटपाथ पर उन्होंने प्रेरणा वन विकसित किया। आज उनसे प्रेरणा लेकर शहर में अन्य लोग भी पौधरोपण कर रहे हैं।

आरपी भारती

वन विभाग से मुख्य वन संरक्षण के पद से सेवानिवृत्त हुए आरपी भारती ने लॉयर्स कॉलोनी के बदहाल पार्क में हरियाली करने को काफी मशक्कत की। आज पार्क की दशा बदल चुकी है। इस बार भी उन्होंने औषधीय गुणों वाले पौधे पार्क में लगाए हैं। 

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