एसिड अटैक के जख्म पर लगेगा 'छांव' का मरहम

By Edited By: Publish:Tue, 02 Sep 2014 09:58 PM (IST) Updated:Tue, 02 Sep 2014 09:58 PM (IST)
एसिड अटैक के जख्म पर लगेगा 'छांव' का मरहम

जागरण संवाददाता, आगरा: दर्द है और टीस भी। जख्म तो समय के साथ भर गए, लेकिन जिंदगी बदतर हो गई। समाज अब उसके लिए डरावना और घर से बाहर की जिंदगी सपना है। चहारदीवारी के पीछे छिपी पीड़िताओं को तलाशने का काम करने वाली दिल्ली की संस्था से अब महिला शांति सेना ने हाथ मिला लिया है। एसिड अटैक में जिंदगी जीने का जज्बा खो चुकी ऐसी ही युवतियों और महिलाओं में दोबारा जीने की ललक पैदा की जाएगी।

तमाम पाबंदियों के बाद भी एसिड अटैक की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। शहर में अब तक इसका शिकार हुई दर्जनों युवतियों में से बहुत सी तो दम तोड़ चुकी हैं। जो बची हैं वे मौत से बदतर जिंदगी मानती है। इस दंश को झेल चुकी लक्ष्मी अग्रवाल की दिल्ली की संस्था छांव ने ऐसी ही युवतियों और महिलाओं को जिंदगी जीने की ललक पैदा करने को एक साल पहले काम शुरू किया। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों में अपनी पहुंच बनाने के बाद संस्था आगरा से एक नयी शुरुआत करना चाहती है। बल्केश्वर के सरस्वती नगर में महिला शांति सेना की अध्यक्ष वत्सला प्रभाकर के आवास पर पत्रकार वार्ता में संस्था के पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। दिल्ली दुष्कर्म कांड के बाद एक फ्लैट में साथ रहने वाले युवाओं का यह समूह अब सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में फैल गया है। इस संस्था से जुड़े कार्टूनिस्ट असीम ने बताया कि वे शहर में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए एक कैफे खोलना चाहते हैं। इसके लिए वे स्थान की तलाश कर रहे हैं। संस्था लोगों के सहयोग से कैफे खुलवाकर एसिड अटैक पीडि़ताओं को यहां काम देगी और उसकी आय उन्हीं के ऊपर खर्च की जाएगी। इस तरह उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही आत्मनिर्भर भी बनाया जा सकेगा। संस्था से अभी तक शहर की तीन पीड़िता जुड़ चुकी हैं। पत्रकार वार्ता में उनके साथी आशीष शुक्ला, अभिलाष और एसिड अटैक का दंश झेल चुकी रूपा भी थीं।

महिला शांति सेना की अध्यक्ष वत्सला प्रभाकर ने उन्हें पूरे सहयोग का आश्वासन दिया है। संस्था की ओर से सरोज गौरिहार, शीला बहल, गौस्या हुसैन मिर्जा, रीता कपूर, चंद्रा मेहरोत्रा, तूलिका कपूर आदि मौजूद रहीं।

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