Ganga Dussehra 2023: गंगा दशहरा पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप, मिलेगा गंगा मैया का आशीर्वाद

Ganga Dussehra 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा की उपासना करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Publish:Mon, 22 May 2023 04:26 PM (IST) Updated:Mon, 22 May 2023 04:26 PM (IST)
Ganga Dussehra 2023: गंगा दशहरा पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप, मिलेगा गंगा मैया का आशीर्वाद
Ganga Dussehra 2023: गंगा दशहरा के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Ganga Dussehra 2023: हिन्दू धर्म में मां गंगा को मोक्षदायिनी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मां गंगा की उपासना करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधक को समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि गंगा मैय्या की विशेष उपासना के लिए गंगा दशहरा पर्व को बहुत ही फलदाई माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में भी मां गंगा की उपासना के लिए कुछ विशेष मंत्रों के विषय में बताया गया है, जिनका शुद्ध उच्चारण करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

गंगा मंत्र

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

अर्थात- हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, कृपया इस जल में (आप सभी) पधारिए।

ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।

अर्थात- गंगा मैया! आप विश्वरुपिनी हैं, नर नारायण स्वरूपी हैं, आपको नमस्कार!

गंगागंगेति योब्रूयाद् योजनानां शतैरपि।

मच्यते सर्व पापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।।

अर्थात- जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगा जी का नाम स्मरण करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो कर विष्णुलोक में जाता है।

गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।

अर्थात- गंगा का जल, जो मनोहारी है, विष्णुके श्रीचरणों से जिनका जन्म हुआ है, जो त्रिपुरारी की शीशपर विराजित हैं, जो पापहारिणी हैं, हे मां आप मुझे शुद्ध करें।

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मां गंगा आरती

ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।।

ॐ जय गंगे माता...

चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।।

ॐ जय गंगे माता...

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।

कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।।

ॐ जय गंगे माता...

एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।

यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।।

ॐ जय गंगे माता...

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।

दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।।

ॐ जय गंगे माता...

ॐ जय गंगे माता...

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