Devshayani Ekadashi 2019: आज से 4 माह के लिए योग निद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु, जानें मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि एवं कथा

Devshayani Ekadashi 2019 जगत के पालनहार भगवान विष्णु आज से क्षीर सागर में चार माह के लिए योग निद्रा में रहेंगे।

By kartikey.tiwariEdited By: Publish:Mon, 08 Jul 2019 10:58 AM (IST) Updated:Fri, 12 Jul 2019 09:56 AM (IST)
Devshayani Ekadashi 2019: आज से 4 माह के लिए योग निद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु, जानें मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि एवं कथा
Devshayani Ekadashi 2019: आज से 4 माह के लिए योग निद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु, जानें मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि एवं कथा

Devshayani Ekadashi 2019: आषाढ़ शुक्ल एकादशी इस सप्ताह 12 जुलाई दिन शुक्रवार को है। इसे देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं, इस दौरान देवों के देव महादेव सृष्टि के पालनहार की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। इस दौरान शादी जैसे 16 संस्कार वर्जित रहेंगे।

ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र से इस व्रत के मुर्हूत और पूजा-विधि के बारे में जानते हैं—

देवशयनी एकादशी मुहूर्त

इस वर्ष देवशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3:08 से अलगे दिन 12 जुलाई को रात 1:55 मिनट तक रहेगी। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, दान, पुण्य आदि का विशेष लाभ मिलता है।

व्रत एवं पूजा विधि

इस दिन उपवास करके सोना, चाँदी, ताँबा या पीतल की भगवान विष्णु की मूर्ति बनवाकर उसका यथोपलब्ध उपचारों से पूजन करें। पीले वस्त्र से विभूषित करके सफेद चादर से ढके हुए गद्दे तकिए वाले पलंग पर भगवान को शयन कराएं।

रात्रि के समय 'सुप्ते त्वयि जगन्नाथे जगत् सुप्तं भवेदिदम्। विबुधे च विबुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय।। से प्रार्थना करें। भगवान का सोना रात्रि में, करवट बदलना संधि में और जागना दिन मे होता है। इसके विपरीत हो तो अच्छा नहीं।

देवशयनी एकादशी कथा

मांधाता नाम के एक सूर्यवंशी चक्रवर्ती राजा थे, जो सत्यवादी और महान प्रतापी थे। उनके राज्य में किसी को कोई दुख नहीं था, धन-धान्य की कमी नहीं थी। लेकिन एक बार ऐसा संयोग हुआ ​कि 3 साल तक बारिश नहीं हुई और राज्य में अकाल पड़ गया। अन्न न होने से प्रजा के लिए मुश्किलें शुरु हो गईं और धार्मिक कार्य भी बंद हो गए।   

प्रजा की स्थिति देखकर राजा व्याकुल हो गए। वे इस समस्या का समाधान खोजने के लिए अपनी सेना के साथ जंगल की ओर चले गए। काफी दूर चलने के बाद उनको ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि का आश्रम मिला। वे अंगिरा ऋषि के आश्रम में गए और उनको प्रणाम कर अपनी व्यथा सुनाई। 

तब अंगिरा ऋषि ने कहा कि ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने और तपस्या करने का अधिकार है। तुम्हारे राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है, जिसके कारण तुम्हारे राज्य में अकाल पड़ा है। यदि तुम उसका वध कर दोगे, तो तुम्हारे राज्य में बारिश होगी और प्रजा को अकाल से मुक्ति मिलेगी। राजा मांधाता ने उस निरपराध शूद्र का वध करने से इनकार कर दिया। 

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मंधाता ने ऋषि से कोई और उपाय बताने का निवेदन किया। तब अंगिरा ऋषि ने कहा कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को पद्मा नाम की एकादशी आती है, उसका तुम विधिपूर्वक व्रत करो। इससे तुम्हारे सभी संकटों का हल निकल आएगा। यह व्रत सभी सिद्धियों को देने वाला है।           

अंगिरा ऋषि के परामर्श को मानकर राजा मंधाता ने अपनी समस्त प्रजा के साथ विधि विधान से पद्मा एकादशी का व्रत किया। परिणाम स्वरूप बारिश हुई और अकाल भी खत्म हो गया। प्रजा फिर से खुशहाल और सुखी हो गई।   

इस कारण से आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी संकटों और पापों का नाश हो जाता है।

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