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Hindu Puranas: हिंदू धर्म के 18 पुराण कौन-से हैं, जिसमें मिलता है जीवन के सिद्धांतों का वर्णन

सनातन धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। आज इसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही सनातन धर्म में 18 पुराणों का वर्णन मिलता है जिनका विशेष महत्व माना गया है। पुराण व्यक्ति को जीवन जीने का सही तरीका सिखाने में कारगर हैं। तो चलिए जानते हैं इन 18 महापुराणों के विषय में।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Wed, 22 May 2024 03:15 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 03:15 PM (IST)
Hindu Puranas हिंदू धर्म के 18 पुराण कौन-से हैं

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hindu scriptures: पुराण हमें ईश्वर के स्वरूप और उनकी लीलाओं के जरिए जीवन के सिद्धांतों के बारे में बताते हैं। हिंदू धर्म में कुल पुराणों का जिक्र मिलता है। यह पुराण केवल देवी-देवताओं की कथा तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनमें  खगोल विज्ञान, चिकित्सा, इतिहास और कई अन्य विषय भी शामिल हैं।

ये हैं 18 पुराण -

  1. ब्रह्म पुराण
  2. पद्म पुराण
  3. विष्णु पुराण  
  4. शिव पुराण
  5. भागवत पुराण
  6. नारद पुराण
  7. मार्कण्डेय पुराण
  8. अग्नि पुराण
  9. भविष्य पुराण
  10. ब्रह्मवैवर्त पुराण
  11. लिंग पुराण
  12. वाराह पुराण
  13. स्कंद पुराण
  14. वामन पुराण
  15. कूर्म पुराण
  16. मत्स्य पुराण
  17. गरुड़ पुराण
  18. ब्रह्मांड पुराण

1. ब्रह्म पुराण - ब्रह्म पुराण सबसे प्राचीन पुराणों में से एक है। इसमें मुख्य रूप से सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही मनुवंश, देवी-देवताओं, प्राणि, पृथ्वी, भोगल, नरक, स्वर्ग, मंदिर, तीर्थ आदि के बारे में लिखा हुआ है।

2. पद्म पुराण - पद्म पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति अर्थात इस बात का वर्णन मिलता है कि किस प्रकार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। इसके साथ ही यह पुराण अन्य प्रकार के ज्ञानों से भी परिपूर्ण है।

3. विष्णु पुराण - 18 पुराणों में शामिल विष्णु पुराण में मुख्य रूप से भगवान विष्णु से संबंधित कथाएं मिलती हैं। पराशर ऋषि द्वारा रचित यह पुराण अन्य 17 पुराणों में सबसे छोटा है। साथ ही इसमें श्रीहरि के अवतारों, श्रीकृष्ण चरित्र और राम कथा का भी उल्लेख किया गया है।

4. शिव पुराण - शिव पुराण में भगवान शिव के अवतार और उनकी महिमा का वर्णन मिलता है। इस पुराण में भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों आदि वर्णन किया गया है।  

5. भागवत पुराण - इस पुराण में भगवान विष्णु के सभी अवतारों की सम्पूर्ण कथा मिलती है। इसके साथ ही इस पुराण में भक्ति योग का भी विस्तार में वर्णन किया गया है।

6. नारद पुराण - नारद पुराण को महापुराण भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें सभी 18 पुराणों का सार दिया गया है। नारद पुराण में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष आदि का वर्णन किया गया है।

7. मार्कण्डेय पुराण - मार्कण्‍डेय पुराण को प्राचीनतम पुराण माना गया है। इसमें सभी वैदिक देवताओं इंद्र, अग्नि और सूर्य सहित अन्‍य का भी उल्‍लेख किया गया है। साथ ही इसमें श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाओं का भी उल्लेख है।

8. अग्नि पुराण - इस पुराण के प्रवक्‍ता अग्नि और श्रोता वशिष्‍ठ हैं। इस पुराण में विष्‍णु के अवतारों सहित शिवलिंग, दुर्गा, गणेश, सूर्य, प्राण प्रतिष्‍ठा आदि का वर्णन मिलता है। इसके साथ ही इस पुराण में भूगोल, गणित, ज्‍योतिष, विवाह, मृत्‍यु, शकुन विद्या, वास्‍तु, नीति शास्‍त्र, युद्ध विद्या, धर्म शास्‍त्र, छंद, काव्‍य, व्‍याकरण और आयुर्वेद का भी विस्तार से वर्णन किया गया है।

9. भविष्‍य पुराण - जैसा कि नाम से ही जाहिर है। इस पुराण में कई भविष्यवाणियां की गई हैं। इसके साथ ही 12 महीनों के निर्माण का उल्लेख भी मिलता है। साथ ही विक्रम बेताल और बेताल की कथाएं भी इसी पुराण का हिस्सा हैं।

10. ब्रह्मवैवर्त पुराण - ब्रह्मवैवर्त पुराण को वेदमार्ग दसवां पुराण माना गया है। इसमें भी आयुर्वेद संबंधी जानकारियों का उल्‍लेख मिलता है। साथ ही इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, श्री राधा रानी की गोलोक लीला आदि का भी वर्णन किया गया है।

11. लिंग पुराण - श्री लिंग महापुराण में लिंग का वर्णन मिलता है। इसमें शिव जी के 28 अवतारों का संपूर्ण वर्णन मिलता है। साथ ही इस पुराण में अंधकासुर की कथा और जालंधर वध की भी कथा मिलती है।

12. वराह पुराण - वराह पुराण भगवान विष्‍णु के वराह अवतार पर आधारित ग्रंथ है। इसमें भगवान के वराह रूप में अवतरित होने की कथा में प्रयल और उसके बाद पुनः सृष्टि के निर्माण की भी व्याख्या की गई है।

13. स्कंद पुराण - स्‍कन्‍द पुराण शिव जी के बड़े पुत्र कार्तिकेय पर आधारित है। इसके साथ ही स्कंद पुराण में भगवान शव की महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म, तारकासुर वध आदि कथाओं का वर्णन भी मिलता है।

14. वामन पुराण - वामन पुराण मुख्य रूप से श्री हरि विष्‍णु के वामन अवतार पर आधारित है। इसके साथ ही इस पुराण में वामन अवतार, शिवलिंग पूजा, गणेश, स्‍कन्‍द आख्‍यान, शिव-पार्वती की कथा का उल्‍लेख मिलता है।

15. कूर्म पुराण - इस पुराण में चारों वेदों का संपूर्ण सार मिलता है। मंथन के समय मंदराचलगिरि को समुद्र में स्थिर रखने के लिए देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्‍णु ने कूर्मावतार धारण किया था। इसमें उनके उस अवतार में दिए गए उपदेशों का वर्णन मिलता है। साथ ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, पृथ्वी और गंगा की उत्पत्ति का भी उल्लेख मिलता है। कूर्म पुराण में मानव जीवन के चार आश्रम धर्मों की भी जानकारी मिलती है।

16. मत्स्य पुराण - मत्‍स्‍य पुराण का संबंध भगवान विष्‍णु के मत्‍स्‍य अवतार से है। इसमें जल प्रलय से लेकर कलियुग के राजाओं की सूची दी गई है। श्री हरि विष्‍णु बताते हैं कि इस पुराण को श्रवण करने से मनुष्‍य की कीर्ति में वृद्धि होती है। आयु भी बढ़ती है। इसके अलावा मनुष्‍य सभी पापों से मुक्‍त होकर श्री नारायण में लीन हो जाता है।

17. गरुड़ पुराण - गरुड़ पुराण का संबंध मृत्यु से जुड़ी घटनाओं से है। इसमें व्यक्ति के जन्म, मृत्यु, पुनर्जन्म, पाप-पुण्य, कर्म, आत्मा आदि से संबंधित बातें बताइ गई हैं।

18. ब्रह्मांड पुराण - अठारह पुराणों में से एक ब्रह्मांड पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है कि ब्रह्मांड और सृष्टि की रचना कैसे हुई थी। इसके साथ ही इसमें बताया गया है कि निर्माण की प्रक्रिया में देवी-देवताओं का क्या सहयोग रहा।  

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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