Khatu Shyam Mandir: बाबा खाटू श्याम को आखिर क्यों अर्पित करते हैं गुलाब? जानें इससे जुड़ी मान्यता
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में रोजाना अधिक संख्या में लोग बाबा श्याम के दर्शनों के लिए आते हैं। श्रद्धालु बाबा श्याम को गुलाब का फूल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि बाबा खाटू श्याम को गुलाब का फूल आखिर क्यों चढ़ाए जाते हैं।
HighLights
- बाबा खाटू श्याम का प्रसिद्ध मंदिर सीकर में स्थित है।
- बाबा खाटू श्याम गुलाब और इत्र अर्पित किया जाता है।
- अधिक संख्या में श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम के दर्शनों के लिए आते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम मंदिर स्थित है। इस मंदिर में रोजाना अधिक संख्या में लोग बाबा श्याम के दर्शनों के लिए आते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि बीते वर्षों में खाटू श्याम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। रोजाना बाबा खाटू श्याम का विशेष श्रृंगार किया जाता है और आरती की जाती है। श्रृंगार में इत्र और गुलाब के फूल समेत कई चीजों को शामिल किया जाता है। श्रद्धालु भी बाबा श्याम को गुलाब का फूल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि बाबा खाटू श्याम को गुलाब का फूल आखिर क्यों चढ़ाए जाते हैं। चलिए जानते हैं इसके पीछे की असल वजह।
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गुलाब अर्पित करने की ये है वजह
सनातन धर्म में गुलाब के फूल को प्रेम का प्रतीक माना गया है। जब श्रद्धालु बाबा श्याम को गुलाब का फूल अर्पित करते हैं। तब यह भक्त और प्रभु के बीच के प्रेम और अटूट विश्वास को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा गुलाब का फूल चढ़ाते समय साधक अपनी गलतियों की क्षमा मांगता है। साथ ही बाबा श्याम को प्रसन्न और अपनी मनचाही मनोकामनाओं को पूरी करने के लिए भी गुलाब का फूल अर्पित किया जाता है।
गुलाब और इत्र अर्पित करने से मिलते हैं ये लाभ
मान्यता के अनुसार, बाबा खाटू श्याम को गुलाब चढ़ाने से साधक की सभी मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और बाबा श्याम साधक की सभी गलतियां माफ करते हैं। इसके अलवा इत्र अर्पित करने से घर में सदैव सुख-शांति बनी रहती है।
मंदिर की ये है मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो साधक बाबा श्याम के इस मंदिर में जाता है। उसे हर बार बाबा श्याम का अलग रूप देखने को मिलता है। ऐसा बताया जाता है कि कई बार तो उनके आकार में भी बदलाव देखने को मिला है।
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