राजस्थान में स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव तक दोनों पदों पर बने रहेंगे सचिन पायलट

Sachin Pilot. राजस्थान में स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस के संगठन में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। सचिन पायलट दोनों पदों पर बने रहेंगे।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 13 Sep 2019 02:43 PM (IST) Updated:Fri, 13 Sep 2019 02:43 PM (IST)
राजस्थान में स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव तक दोनों पदों पर बने रहेंगे सचिन पायलट
राजस्थान में स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव तक दोनों पदों पर बने रहेंगे सचिन पायलट

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे। स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस के संगठन में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। पायलट दोनों पदों पर बने रहेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत लागू कराने को लेकर कांग्रेस आलाकमान के समक्ष लॉबिंग कर रहे थे। लेकिन आलाकमान फिलहाल पायलट को हटाने को तैयार नहीं है।

आलाकमान के निर्देश पर राजनीतिक नियुक्तियां भी फिलहाल टाल दी गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने कहा कि पार्टी की पहली प्राथमिकता स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव है। चुनाव तक संगठन में कोई बदलाव नहीं होगा। पांडे ने कहा कि प्रदेश के मौजूदा संगठन से ही दोनों चुनाव लड़े जाएंगे। चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है।

छह माह से पायलट को हटाने को लेकर हो रही लॉबिंग

करीब नौ माह पूर्व प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। एक तरफ जहां गहलोत समर्थक एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत लागू कराने को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग में जुटे हैं। वहीं, दूसरी तरफ पायलट समर्थक सीएम और सरकार के कामकाज पर कटाक्ष करने का कोई अवसर नहीं चूक रहे हैं। खुद गहलोत और पायलट दोनों भी एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से कई बार कटाक्ष कर चुके हैं। दोनों दिग्गजों के बीच चल रही खींचतान खत्म कराने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को जिम्मेदारी सौंपी है।

लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर हार के बाद पार्टी आलाकमान स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव में कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता, इसलिए फिलहाल पायलट के पास उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के दोनों पद रखने का मन बनाया गया है। पार्टी के एक राष्ट्रीय सचिव का कहना है कि प्रदेश के जातिगत समीकरणों व युवा मतदाताओं में पायलट की पहचान को देखते हुए गहलोत समर्थकों का दबाव दरकिनार किया गया है। वहीं, गहलोत के अनुभव को ध्यान में रखते हुए सरकार में उन्हें फिलहाल फ्री हैंड देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि गुरुवार को हुई मुलाकात में सोनिया गांधी से प्रदेश की कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर नाराजगी जताई थी। दो दिन पूर्व पायलट के खास प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ने सोनिया गांधी से मिलकर कानून-व्यवस्था को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी। 

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