किसान संघ ने आंदोलन समाप्त किया, कांग्रेस और अन्य संगठन जारी रखेंगे

वार्ता के बाद किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष मणिलाल लबाना ने कहा कि संभागीय स्तर पर चल रहा महापड़ाव तत्काल समाप्त किया जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 20 Jun 2017 02:26 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jun 2017 02:26 PM (IST)
किसान संघ ने आंदोलन समाप्त किया, कांग्रेस और अन्य संगठन जारी रखेंगे
किसान संघ ने आंदोलन समाप्त किया, कांग्रेस और अन्य संगठन जारी रखेंगे

जयपुर, [जागरण संवाददाता] । राजस्थान में किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार ने आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ से समझौता वार्ता कर आंदोलन समाप्त करा दिया। सोमवार देर रात हुई समझौता वार्ता के बाद किसान संघ ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।

हालांकि कर्ज माफी की मुख्य मांग पर सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया। इधर कांग्रेस और अन्य किसान संगठनों ने आंदोलन तेज करने की बात कही है। किसान संघ के प्रतिनिधियों के साथ सोमवार देर रात हुई समझौता वार्ता में राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी मौजूद थे।

वार्ता के बाद किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष मणिलाल लबाना ने कहा कि संभागीय स्तर पर चल रहा महापड़ाव तत्काल समाप्त किया जाता है। इसके साथ ही मंगलवार को मंडी बंद, गांव बंद का आंदोलन भी वापस लिया जाता है। किसान संघ और सरकार के बीच हुई वार्ता में कर्ज माफी के मामले में सिर्फ ब्याज खत्म करने,विधानसभा के आगामी सत्र में किसानों की समस्याओं पर एक दिन चर्चा कराने,बिजली के बकाया कनेक्शन जारी करने,बिजली के खराब ट्रांसफार्मर बदलने,प्याज की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए प्रस्ताव तैयारी करने पर सहमति बनी। वार्ता में बिजली मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह और सहकारिता मंत्री अजय सिंह भी मौजूद थे।

इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि किसानों के समर्थन में कांग्रेस द्वारा चलाया जा रहा आंदोलन तेज किया जाएगा। धरने-प्रदर्शन कर किसानों की कर्ज माफी के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।

उन्होंेने कहा कि जब यूपी और महाराष्ट्र में कर्ज माफी हो सकती है तो राजस्थान में क्यों नहीं हो सकती। किसानों के एक अन्य संगठन राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि गांव बंद का आंदोलन मंगलवार को भी जारी रहा और यह क्रम निरंतर जारी रहेगा। माकपा से जुड़े किसानों ने कई जिला मुख्यालयों पर धरने दिए। 

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