Coronavirus Lockdown Effect: कोई मंदिर 1100 में तो कोई 900 साल में पहली बार हुआ बंद

अब तक के इतिहास के पहली बार हुआ है कि 72 दिन में मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए बंद है। 1840 में स्थापित यह मंदिर करीब 180 साल में पहली बार हुआ भक्तों के लिए बंद किया गया है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 02:20 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 02:20 PM (IST)
Coronavirus Lockdown Effect: कोई मंदिर 1100 में तो कोई 900 साल में पहली बार हुआ बंद
Coronavirus Lockdown Effect: कोई मंदिर 1100 में तो कोई 900 साल में पहली बार हुआ बंद

जयपुर,नरेन्द्र शर्मा। देश में सबसे पहले राजस्थान में 22 मार्च को लॉकडाउन शुरू हुआ था। तय गाइडलाइन के अनुसार सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को आगामी आदेश तक बंद करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से प्रदेश के करीब हजारों मंदिर भक्तों के दर्शनों के लिए बंद है। इनमें से कोई मंदिर 1100 साल पुराना है तो कोई 900 साल पहले बना था।

अब तक के इतिहास के पहली बार हुआ है कि 72 दिन में मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए बंद है। इनमें देश के प्रसिद्ध मंदिर शामिल है, जिनमें सभी राज्यों से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे मंदिरों में नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर, सीकर जिले में खाटूश्याम जी मंदिर, दौसा जिले में मेंहदीपुर बालाजी मंदिर और चित्तोड़गढ़ जिले में सांविलया सेठ का मंदिर शामिल है। अब भक्त फेसबुक, व्हाट्सअप वीडियो और फोटो आदि के जरिए भक्तों के दर्शन कर रहे हैं।

स्थानीय से ज्यादा महाराष्ट्र, गुजरात व मप्र.से आते हैं भक्त

नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ जी मंदिर में राजस्थान के बजाय गुजरात व महाराष्ट्र से काफी भक्त आते हैं। 1840 में स्थापित यह मंदिर करीब 180 साल में पहली बार हुआ भक्तों के लिए बंद किया गया है। इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते रहे हैं। इसी तरह सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम जी मंदिर में राजस्थान अलावा कलकत्ता, दिल्ली, उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। करीब 900 साल पूर्व स्थापित इस मंदिर में प्रतिदिन करीब 15 हजार भक्तों के दर्शन करने का रिकॉर्ड है ।

राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश के भक्तों के अराध्यदेव चित्तोडगढ़ जिले के सांवलिया सेठ जी मंदिर में भी प्रतिदिन करीब 30 हजार भक्त दर्शन के लिए आने का रिकॉर्ड प्रशासन के पास दर्ज है । करीब 1100 साल पहले बने इस मंदिर के चढ़ावे के दान पेटी के बॉक्स माह में एक बार खोला जाता है तो नकद राशि के अलावा बड़ी तादाद में जेवरात मिलते हैं । इस मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश के व्यापारी भगवान सांवलिया सेठ को मन में अपने व्यापार का हिस्सेदार बनाते हैँ और मुनाफा होने पर तय हिस्सा दानपेटी में रखकर जाते हैं ।

सन,1755 में बने चूरू जिले के सालासर मंदिर में करीब 15 हजार भक्त प्रतिदिन आते थे,लेकिन अब 72 दिन से यह मंदिर बंद है। जयपुर के अराध्यदेव गोविंद देव जी के मंदिर की स्थापना सन,1717 में हुई थी जो 303 साल में पहले बाद बंद हुआ है ।

एक मंदिर में सफेद चूहे दिखाई देने को मानते हैं शुभ

बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित करणी माता के मंदिर की स्थापना सन,1419 में हुई थी । 601 साल में पहली बार यह मंदिर भक्तों के लिए बंद हुआ है । इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आने वाले भक्त को यदि सफेद चूहा नजर आता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है । दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर बालाजी मंदिर की स्थापना 1672 में हुई थी । करीब 20 हजार लोग प्रतिदिन यहां दर्शन के लिए आते हैं,मंदिर प्रशासन का कहना है कि 348 साल में पहली बार यह मंदिर भक्तों के लिए बंद हुआ है । मेंहदीपुर बालाज मंदिर में दिल्ली और यूपी से काफी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं । देश के एकमात्र ब्रह्माजी मंदिर का जीर्णोद्धार 713 वि.सं. में जगद्गुरु शंकराचार्य ने कराया था। 

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