Rajasthan: कांग्रेस फिर अपनाएगी राजीव गांधी मॉडल, नियुक्त होंगे कोऑर्डिनेटर
Rajasthan Congress. राजस्थान कांग्रेस में कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक की जाएगी।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Congress. करीब तीन दशक बाद कांग्रेस एक बार फिर पार्टी की मजबूती के लिए कोऑर्डिनेटर (समंवयक) की नियुक्ति करेगी। कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक की जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी ने कांग्रेस की मजबूती के लिए जिला स्तर पर कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति की थी, लेकिन बाद में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई। अब कांग्रेस एक बार फिर राजीव गांधी मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रही है।
कोऑर्डिनेटर का काम पार्टी के लिए नए सक्रिय कार्यकर्ता तैयार करना और नियमित रूप से जिला एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के साथ समंवयक बनाकर कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों या जातियों में पार्टी की पकड़ कमजोर हो रही है, उनमें प्रभावशाली लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ने का काम भी ये कोऑर्डिनेटर करेंगे। राजस्थन के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सलाह पर कांग्रेस एक बार फिर कोऑर्डिनेटर की परंपरा को शुरू करने की तैयारी कर रही है। गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रहते हुए तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बारे में सुझाव दिया था, लेकिन इसे अमल में अब लाया जा रहा है।
कोऑर्डिनेटर के साथ ही कांग्रेस ने प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक प्रशिक्षण विभाग बनाया है। इसमें पोलिंग बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर विधायकों तक को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का मकसद कांग्रेसजनों को पार्टी की विचारधारा, इतिहास और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर उसकी राय बताई जाएगी। विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को सार्वजनिक जीवन में किस तरह का आचार-व्यवहार रखना चाहिए, यह बताया जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ प्रशिक्षण शिविरों में शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी के हाथ में जिस समय कांग्रेस की कमान थी, तब जिला स्तर पर नियुक्त कोऑर्डिनेटर को काफी पॉवरफुल किया गया था। जिला परिषद और स्थानीय निकाय से लेकर विधानसभा चुनाव तक में इनकी सिफारिश पर टिकट दिए जाते थे। कांग्रेस आलाकमान ने प्रत्येक कोऑर्डिनेटर को एक जीप और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए थे। लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस में कोऑर्डिनेटर बनाने की परंपरा खत्म हो गई थी।