आखातीज पर राजस्थान के कई जिलों में हुए बाल विवाह

प्रशासन को भी बाल विवाह की जानकारी तब मिली, जब 15 नाबालिग जोड़े स्थानीय धार्मिक स्थल जोगणिया माता मंदिर में दर्शन के लिए एक साथ पहुंचे।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Wed, 18 Apr 2018 05:37 PM (IST) Updated:Wed, 18 Apr 2018 05:48 PM (IST)
आखातीज पर राजस्थान के कई जिलों में हुए बाल विवाह
आखातीज पर राजस्थान के कई जिलों में हुए बाल विवाह

जागरण संवाददाता, जयपुर। सरकार की सख्ती और जागरूकता के लिए चलाए गए अभियानों के बावजूद आखातीज पर बुधवार को राजस्थान के कई जिलों में बाल विवाह हुए। राज्य के भीलवाड़ा जिले में एक साथ 15 बाल विवाह होने की जानकारी सामने आई है। प्रशासन के कड़े बंदोबस्त को देखते हुए गुपचुप में ही बिना किसी को निमंत्रण पत्र दिए सामूहिक रूप से ये विवाह करा लिए गए। प्रशासन को भी बाल विवाह की जानकारी तब मिली, जब 15 नाबालिग जोड़े स्थानीय धार्मिक स्थल जोगणिया माता मंदिर में दर्शन के लिए एक साथ पहुंचे। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नाबलिग जोड़ों के मंदिर में पहुंचने की सूचना पर पुलिस और तहसीलदार मौके पर पहुंचे। इससे पहले ही विवाह के आयोजक इन्हें अज्ञात स्थान पर ले गए। हालांकि मंदिर में मौजूद कुछ लोगों ने मोबाइल से इनके फोटो लेकर वायरल कर दिए।

प्रशासनिक अधिकारियों से इस बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि फोटो सही हैं गलत पता करवा रहे हैं। भीलवाड़ा जिले के ही गाजूणां गांव में मंगलवार रात तीन नाबालिग बच्चों का विवाह करा दिया गया। इनमें लड़कों की उम्र 12 से 14 साल और लड़कियों की उम्र 10 से 13 साल है। इन तीनों जोड़ों का विवाह वैसे तो आखातिज पर बुधवार को होना था, लेकिन प्रशासन के भय के चलते इनका विवाह मंगलवार रात ही करा दिया गया। पुलिस थाना अधिकारी और पटवारी गांव में पहुंचते इससे पहले ही तीनों जोड़ों को गायब कर दिया गया। इस विवाह के आयोजक पारसी देवी और मदन नाथ को खोजने के लिए पुलिस ने दो टीमें आसपास के गांवों में भेजी हैं। चित्तौड़गढ़ जिले में नेवरिया गांव के 17 वर्षीय युवक प्रेम जाट से 10 साल की एक लड़की का दोपहर में विवाह कराया जा रहा था।

इसी बीच, पुलिस एवं बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने गांव में पहुंचकर विवाह रुकवाया। भीलवाड़ा जिला कलेक्टर मुक्तानंद अग्रवाल को बिजौलिया की एक लड़की के मिले पत्र के बाद उसका बाल विवाह रुकवा दिया गया। लड़की ने दो दिन पहले डाक से जिला कलेक्टर को पत्र भेजा था कि मेरी उम्र अभी 16 वर्ष है और मै पढ़ना चाहती हूं, लेकिन मेरे परिजन मेरा विवाह कराना चाहते हैं। लड़की ने अपना विवाह बुधवार को निश्चित होने की बात भी लिखी इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने सुबह ही उसके घर जाकर परिजनों को बाल विवाह नहीं करने के लिए पाबंद किया।

डूंगरपुर, बांसवाड़ा और सिरोही जिलों में भी बाल विवाह होने की बात सामने आई है। प्रशासनिक अधिकारियों व बाल विवाह रोकने के प्रयासों में जुटे सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि अधिकांश बाल विवाह दिन में ही करा लिए जाते हैं। रात के समय पुलिस एवं प्रशासन की निगाह अधिक होने के कारण अधिकांश विवाह दिन में ही हो जाते हैं।

महिला व बाल विकास मंत्री ने लिखे थे 74 हजार पत्र

आखातीज और बुद्ध पूर्णिमा पर संभावित बाल विवाह रोकने के लिए तय योजना के तहत राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला सहायकों को 74 हजार से अधिक अर्द्धशासकीय पत्र भेजकर बाल विवाह रुकवाने में सहयोग का आग्रह किया था।

महिला व बाल विकास विभाग की सचिव रोली सिंह ने जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखने के साथ ही टेलीफोन पर बात भी की थी, लेकिन फिर भी काफी संख्या में बाल विवाह हुए। इस बारे में महिला व बाल विकास मंत्री का कहना है कि प्रशासन ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए काफी प्रयास किए हैं।काफी हद तक कमी भी आई है, जहां कहीं भी सूचना मिली प्रशासनिक अधिकारी बाल विवाह रुकवाने मौके पर पहुंचे हैं।  

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