Rajasthan Politics: अशोक गहलोत सरकार के गले की फांस बना जातिगत आरक्षण का मुद्दा

Rajasthan Caste Reservation मीणा विधायक सीएम से मिले एसटी आरक्षण बढ़ाने की मांग अब मीणा और मीना विवाद के साथ ही धौलपुर व भरतपुर के जाटों को आरक्षण देने का मुद्दा गरमा गया है। जाट महापंचायत कल होगी

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 17 Nov 2020 09:40 AM (IST) Updated:Tue, 17 Nov 2020 09:40 AM (IST)
Rajasthan Politics: अशोक गहलोत सरकार के गले की फांस बना जातिगत आरक्षण का मुद्दा
मीणा और मीना विवाद के साथ ही धौलपुर व भरतपुर के जाटों को आरक्षण देने का मुद्दा गरमा गया है।

जयपुर , नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में जातिगत आरक्षण का मुद्दा अशोक गहलोत सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है। पिछले दिनों गुर्जर समाज ने 11 दिन तक दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रेक पर जाम किया। काफी मशक्कत के बाद सरकार ने गुर्जरों के साथ समझौता किया। अब मीणा और मीना विवाद के साथ ही धौलपुर व भरतपुर के जाटों को आरक्षण देने का मुद्दा गरमा गया है।

मीणा व मीना विवाद खत्म करने को लेकर उधोग मंत्री परसादी लाल मीणा की अगुवाई में जौहरी लाल मीणा, लक्ष्मण मीणा, हरीश मीणा, कांति मीणा, लाखन मीणा, इंदिरा मीणा व गोपाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। हालांकि सरकार ने पहले ही लिखकर दे दिया कि मीणा और मीना कोई विवाद का विषय नहीं है। यह केवल लिखने का फर्क है।

विधायक मुरारी लाल मीणा ने बताया कि कोटा में मीनेष यूनिवर्सिटी बनाने और जयपुर में मीणा समाज के स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल बनाने की मांग भी मुख्यमंत्री से की गई है। उधर धौलपुर व भरतपुर के जाटों को आरक्षण की मांग को लेकर बुधवार को समाज की महापंचायत बुलाई गई है।

भरतपुर जिले के पैथना गांव में होने वाली महापंचायत में राज्य सरकार पर इन दोनों जिलों के जाटों को आरक्षण देने की मांग को लेकर दबाव बनाने की रणनीति तय की जाएगी। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेमसिंह फौजदार ने कहा कि इन दोनों जिलों के जाट अभ्यर्थियों को राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण देना व मुकदमें वापस लेना गहलोत सरकार के हाथ में हैं।

दरअसल, साल, 2014 में जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया था, लेकिन इन दोनों जिलों के जाटों को यह मानते हुए आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया कि यहां रियासतकाल में शासक जाट थे। दोनों जिलों के जाट आर्थिक रूप से संपन्न हैं। उस समय दोनों जिलों के जाट नेताओं ने भी आरक्षण की जरूरत नहीं बताई थी, लेकिन अब समय के अनुसार ये मांग करने लगे हैं।

यह है मीणा व मीना मुद्दा गरमाने का कारण

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पिछले दिनों कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसीक्यूटर के पद पर भर्ती के लिए जारी किए गए विज्ञापन में मीना सरनेम वाले अभ्यर्थियों को ही एसटी मानने के प्रावधान से मामला गरमाया है। जिन अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट्स में मीना सरनेम लिखा था उन्हे ही आवेदन करने के लिए कहा गया । इस बात को लेकर पश्चिमी राजस्थान के मीणा समाज ने इस मामले का हल करने को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही इस मुद्दे पर ट्वीट कर साफ कर चुके हैं कि मीणा व मीना एक ही जाति है।इनमें केवल सरनेमी की स्पेलिंग का अंतर है। उन्होंने कहा कि दोनों को ही एसटी का जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। इस संबंध में राज्य सरकार ने साल, 2018 में भी केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय को पत्र लिख चुकी है। केंद्र सरकार की तरफ से इसका कोई जवाब अब तक नहीं मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में एक बार फिर केंद्र को पत्र लिखा जाएगा । 

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