25 सीटों पर हुई हार के बाद गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद गहराते जा रहे है

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सभी 25 सीटों पर हुई हार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच मतभेद गहराते जा रहे है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 13 Jun 2019 04:42 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2019 04:42 PM (IST)
25 सीटों पर हुई हार के बाद गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद गहराते जा रहे है
25 सीटों पर हुई हार के बाद गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद गहराते जा रहे है

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सभी 25 सीटों पर हुई हार के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच मतभेद गहराते जा रहे है। प्रदेश में कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है।

गहलोत खेमा जहां पायलट को अध्यक्ष पद से हटवाने में जुटा है। वहीं पायलट खेमे ने दो दिन पूर्व दौसा जिले के भंडाना में शक्ति प्रदर्शन किया। सचिन पायलट के पिता स्व.राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में राज्य के 15 मंत्रियों,62 विधायकों एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।

जयपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर आयोजित प्रार्थना सभा में सीएम अशोक गहलोत का शामिल नहीं होना चर्चा का विषय बना हुआ है। कांग्रेसियों में चर्चा है कि दूरदराज से कांग्रेसी प्रार्थना सभा में पहुंचे,लेकिन गहलोत का नहीं पहुंचना यह बताता है कि दोनों के बीच मतभेद गहराते जा रहे है। अब गहलोत खेमा पायलट के जवाब में शक्ति प्रदर्शन की रणनीति बना रहा है।

हालांकि गहलोत खेमे का मानना है कि सीएम की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नजर नहीं आता। लेकिन भंडाना में जिस तरह से बड़ी संख्या में कांग्रेसी पहुंचे उससे पार्टी के भीतर कई तरह से कयास लगाए जाने लगे है। इन कयासों पर विराम लगाने के लिए गहलोत खेमा शक्ति प्रदर्शन की रणनीति बना रहा है।

गहलोत और पायलट की तनातनी

गहलोत और पायलट के बीच तनातनी सत्ता में आने के बाद से ही चल रही है,लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद यह और अधिक बढ़ गई। भंडाना में 15 मंत्रियों,62 विधायकों की उपस्थिति से सियासी गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो गया है। 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 100 विधायक है। कार्यक्रम में चार बसपा और चार निर्दलीय विधायक भी शामिल हुए एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का मानना है कि इसे पायलट कैंप के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा सकता है, जो लोकसभा चुनाव में हार के बाद मजबूत होता जा रहा है।

इस नेता ने कहा कि दो मंत्री,एक विधायक और जिला कांग्रेस अध्यक्ष हार के लिए गहलोत को जिम्मेदार बताते हुए मजबूत स्वर में मुख्यमंत्री के रूप में पायलट को प्रमोट करने की बात कह चुके है। सीएम समर्थक प्रदेश कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि गहलोत हमेशा संदेश की राजनीति करते है। सभी विषमताओं के बावजूद मुख्यमंत्री के तौर पर आराम की स्थिति में दिख रहे है। यह तीन दिन पहले साबित हो गया था, जब वे मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट हो गए। गहलोत का इस आवास में शिफ्ट होना राजनीतिक संकेत में बहुत कुछ कहता है,गहलोत ने चुप रहकर लेकिन एक सख्त संदेश दिया गया कि उनके पद को कोई खतरा नहीं है।  

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