सियासी गुरु का विरोध, चेले को ंवफादारी का इनाम

माझे के जरनैल व खडूर साहिब के सांसद जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा का साथ छोड़ने वाले गुरबचन सिंह करमूंवाला को एसजीपीसी का दूसरी बार महासचिव बनाया। कार्यकारिणी में अब तरनतारन के दो मेंबरों को स्थान देकर टकसाली और कैरों परिवार का सम्मान किया गया। शिअद से निष्कासित ब्रह्मपुरा ने अपने करीबी गुरबचन सिंह को एसजीपीसी का चुनाव लड़ाया था। ब्रह्मपुरा को करमूंवाला सियासी गुरु मानते थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 06:09 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 06:09 PM (IST)
सियासी गुरु का विरोध, चेले को ंवफादारी का इनाम
सियासी गुरु का विरोध, चेले को ंवफादारी का इनाम

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : माझे के जरनैल व खडूर साहिब के सांसद जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा का साथ छोड़ने वाले गुरबचन सिंह करमूंवाला को एसजीपीसी का दूसरी बार महासचिव बनाया। कार्यकारिणी में अब तरनतारन के दो मेंबरों को स्थान देकर टकसाली और कैरों परिवार का सम्मान किया गया। शिअद से निष्कासित ब्रह्मपुरा ने अपने करीबी गुरबचन सिंह को एसजीपीसी का चुनाव लड़ाया था। ब्रह्मपुरा को करमूंवाला सियासी गुरु मानते थे। जब ब्रह्मपुरा ने सुखबीर बादल और बिक्रम मजीठिया के खिलाफ आवाज बुलंद की तो करमूंवाला ने टकसाली अकालियों को एकजुट करके ब्रह्मपुरा का विरोध किया था। जत्थेदार करमूंवाला ने बिक्रम सिंह मजीठिया की अगुवाई में शिअद अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि पार्टी के खिलाफ बागी सुरों को शांत किया जाए।

वेईपुई को नहीं, कैरों के करीबी को स्थान

एसजीपीसी के जनरल इजलास में करमूंवाला को दूसरी बार महासचिव की जिम्मेदारी सौंपते वफादारी का इनाम दिया गया। वहीं पुरानी कार्यकारिणी के सदस्य बलविंदर सिंह वेईपुई को ब्रह्मपुरा के साथ खड़े रहने पर दरकिनार कर दिया गया। नई कार्यकारिणी में भाई मनजीत सिंह भूरा कोहना को स्थान देकर कमेटी का सदस्य मनोनित किया गया था। कोहना ने 7 अक्टूबर को बरगाड़ी में धरने के दौरान बादलों को तेवर दिखाए थे। वह टकसाली परिवार से संबंधित है। कार्यकारिणी में नया चेहरा खुशविंदर सिंह भाटिया का भी दिखाई देगा। भाटिया पट्टी से एसजीपीसी के सदस्य हैं। वह पूर्व मंत्री कैरों के करीबी परिवार से भी हैं।

पखोके को नहीं मिला प्रधानगी का ताज

सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा के भांजे अलविंदरपाल सिंह पखोके भी एसजीपीसी अध्यक्ष के दावेदार थे। पखोके ने मामा का पला छोड़ बिक्रम सिंह मजीठिया को माझे का जरनैल माना था। सुखबीर सिंह बादल के साथ पखोके बकायदा बैठक भी कर चुके हैं। पखोके को भरोसा था कि शिअद की बगावत को थामने के लिए एसजीपीसी की प्रधानगी इस बार माझे को मिलेगी। पखोके एसजीपीसी के 9 माह तक कार्यवाहक अध्यक्ष रह चुके हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में पखोके ने दावा किया कि मैं पार्टी हाईकमान के प्रत्येक फैसले से खुश हूं।

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