संशोधित पंजाब.. दशकों से मदद की गुहार लेकर भटक रहा रॉ एजेंट

संगरूर भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एनॉलसिस (रॉ) के लिए काम करते हुए 12 वर्षीय पाकिस्तान की जेल में गुजराने वाले ¨भखी¨वड के नजदीकी गांव माड़ीमेघा के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 08:31 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 08:31 PM (IST)
संशोधित पंजाब.. दशकों से मदद की गुहार लेकर भटक रहा रॉ एजेंट
संशोधित पंजाब.. दशकों से मदद की गुहार लेकर भटक रहा रॉ एजेंट

ेजागरण संवाददाता, संगरूर

भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एनॉलसिस (रॉ) के लिए काम करते हुए 12 वर्ष पाकिस्तान की जेल में गुजराने वाले तरनतारन जिले के तहत भिखी¨वड के नजदीकी गांव माड़ीमेघा के 80 वर्षीय ठाकुर ¨सह पंजाब व केंद्र की सरकार से मदद की गुहार लगाने के बाद बुधवार को आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान से मुलाकात करने के लिए पहुंचा। परिवार के लिए आर्थिक मदद, पुत्र के लिए सरकारी नौकरी व अन्य सुविधाएं पाने की खातिर ठाकुर ¨सह पिछले कई वर्षो से भटक रहा है। गौर हो कि 12 वर्ष तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहने दौरान न तो उसके परिवार को उसके ¨जदा होने या मरने की कोई खबर मिली थी और न ही कोई आर्थिक मदद।

संगरूर में 'दैनिक जागरण' से बातचीत में ठाकुर ¨सह ने बताया कि उसने रॉ के लिए वर्ष 1975 में काम करना शुरू किया। इस दौरान वह कई बार पाकिस्तान गया। मगर, 1977 में पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ने उसे लाहौर से गिरफ्तार कर लिया और दो वर्ष क्वार्टर गार्ड अंडर आर्मी में कैद रखा गया। पाकिस्तान में उस पर केस चलाकर फौज की सिक्योरिटी के तहत लखपत जेल में दस वर्ष तक नजरबंद रखा गया।

ठाकुर ¨सह ने बताया कि पाकिस्तान में उसके साथ जमकर मारपीट की जाती व अंधेरे कमरे में रखा जाता। हाथों की अंगुलियां व एक टांग भी तोड़ दी। वर्ष 1988 में पाकिस्तान ने 52 भारतीय कैदियों को रिहा किया गया, जिसमें उसे भी रिहाई मिली।

रिहाई के बाद जब ठाकुर सिंह अपने घर पहुंचा, तो उसे पता चला कि उसकी पत्नी ने कोई मदद न मिलने पर लोगों के घरों में बर्तन साफ करके घर का गुजारा चलाया व अपने पुत्र का पालन-पोषण किया।

इसके बाद ठाकुर सिंह ने रॉ के अधिकारियों से बातचीत की, तो उन्होंने उसे सिर्फ पांच हजार रुपये देकर चुप रहने को कहा और वापस भेज दिया। उधर, उसने प्रदेश व केंद्र सरकारों को चिट्ठियों की मदद से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

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बंद हुई बुढ़ापा पेंशन, दिहाड़ी करने को मजबूर पुत्र

ठाकुर सिंह ने बताया कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार के समय में उसे बुढ़ापा पेंशन लगाई गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार के समय में उसकी यह पेंशन भी बंद कर दी गई है। उसके परिवार के पास न तो घर का गुजारा करने का कोई बंदोबस्त है तथा न ही कोई नौकरी। उसके दो पुत्र हैं, दोनों ही दिहाड़ी करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। उसने सरबजीत ¨सह की भांति उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, परिवार को आर्थिक सहायता व उसे गुजारे के लिए पेंशन लगने की मांग की। उसने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वह कच्चे मकान में रहने को मजबूर है और आंखों की रोशनी भी चली गई है। मगर, उसके पास इलाज के लिए पास पैसे नहीं है।

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ध्यान में आया है मामला, मदद दिलाने का करेंगे प्रयास

'बुजुर्ग ठाकुर सिंह मुझे बुधवार को मिला है। उनके दस्तावेज प्राप्त कर लिए गए हैं। मामले की पड़ताल करके इसका मामला उजागर करूंगा, ताकि सरकार की तरफ से बनती मदद प्रदान की जा सके। बुजुर्ग को मदद दिलाने के लिए मैं पूरा प्रयास करूंगा।'

-सांसद, भगवंत मान।

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