किसान बोले-मो¨रडा शुगर मिल का बिजली घर चलाओ

जागरण संवाददाता, रूपनगर : एक तरफ केंद्र सरकार, एनजीटी तथा पंजाब सरकार का जोर लगा हुआ है कि इस बार किसान भाईचारा पराली को न जलाकर पर्यावरण को बचाने के लिए योगदान दें, लेकिन दूसरी तरफ किसान भाईचारा इस बात पर अड़ा हुआ है कि सरकार उनके खेतों से निपटने वाली पराली का इंतजाम कर दे तो वो किसी हालत में आग नहीं लगाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Oct 2018 11:32 PM (IST) Updated:Tue, 09 Oct 2018 11:32 PM (IST)
किसान बोले-मो¨रडा शुगर मिल का बिजली घर चलाओ
किसान बोले-मो¨रडा शुगर मिल का बिजली घर चलाओ

जागरण संवाददाता, रूपनगर : एक तरफ केंद्र सरकार, एनजीटी तथा पंजाब सरकार का जोर लगा हुआ है कि इस बार किसान भाईचारा पराली को न जलाकर पर्यावरण को बचाने के लिए योगदान दें, लेकिन दूसरी तरफ किसान भाईचारा इस बात पर अड़ा हुआ है कि सरकार उनके खेतों से निपटने वाली पराली का इंतजाम कर दे तो वो किसी हालत में आग नहीं लगाएंगे। जिले के किसान संगठनों के नुमाइंदों के साथ बैठक करने के बाद डिप्टी कमिश्नर डॉ.सुमीत जारंगल ने उन किसानों से बात की जिन्होंने खुद पराली जलाई या उनके इलाकों में पराली जलाने का रुझान पाया गया। जोरदार तरीके से किसानों ने पराली को निपटाने में सरकार के सहयोग की मांग की। इसके लिए किसानों ने अलग अलग हल भी बताए। सबसे अहम मांग किसानों की ये रही कि शुगर मिल मो¨रडा में बनाया गया बिजली प्लांट को हर हाल में चालू किया जाए। अगर वो चालू होता है तो जिले की पराली की समस्या का निपटारा आसानी से हो जाएगा। इसके साथ किसानों ने कहा कि पहले सरकार किसानों को पर्याप्त सुविधाए मुहैया करवाए ताकि किसान पराली को संभालते संभालते कहीं खुद आत्महत्या की राह पर न चल पड़ें। अगर किसानों पर प्रशासन पुलिस का दबाव बढ़ा तो पहले से कर्जे तथा महंगाई की मार तले दबे किसानों के पास और कोई चारा नहीं रह जाएगा।

किसान चारों तरफ से उलझा हुआ: र¨वदर मानखेड़ी

बैठक के दौरान डिप्टी कमिश्नर डॉ.जारंगल द्वारा समस्या पूछने पर सबसे पहले बुजुर्ग र¨वदर ¨सह मानखेड़ी ने कहा कि किसानों के मनों में बहुत सी आशंकाएं हैं। पराली को संभालने के लिए किसान क्या करें। खेतीबाड़ी विभाग पराली को खेत में ही मिलाने की बात करता है। लेकिन उन्हें शंका है कि खेतों में जो पराली दबाई जाएगी उसमें शामिल सिलिका अगर खेत की मिट्टी में ज्यादा हो गई तो उसका नुकसान होगा। डीसी डॉ.जारंल ने कहा इस बारे एक्सपर्ट से पूछा जाएगा तथा फिर उनका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले ही किसान धान की बुआई पिछड़ने के कारण परेशान होता है। पहे 10 जून को धान लगाने की अनुमति थी। इसके बाद 15 जून तथा इस बार 20 जून से धान लगाने सरकार ने अनुमति दी। इस कारण फसल भी देरी से तैयार हो रही है। ऐसे में गेहूं लगाने के लिए समय कम मिला रहा है और अब ऊपर से पराली न जलाने की बातें की जा रही हैं। मो¨रडा शुगर मिल में बना बिजली घर क्यों नहीं जलाया जाता। वो सफेद हाथी किस काम का। तब हमें बिजली घर के सब्जबाग दिखाए गए थे।

एक मशीन से कैसे निपटेगा सभी किसानों का मसला: रणवीर शेखुपुरा

रणवीर ¨सह शेखुपुरा ने कहा कि छोटा किसान मशीनरी खरीद ही नहीं सकता। एक सोसाइटी में कम से कम सात गांव हैं तथा एक एक हैपी सीटर से कैसे काम चलेगा। खर्चे बढ़ रहे हैं। गेहूं लगाने के लिए समय कम मिलेगा। उन किसानों को बिना एसएमएस मशीन के कंबाइल लगाने की मंजूरी देनी चाहिए जो किसान पराली नहीं जलाना चाहते। वो खुद सुबह साढ़े नौ बजे से आया हुआ है तथा उसे सायं तक मंजूरी नहीं ली। लेकिन डीसी डॉ.जारंगल ने आश्वासन दिलाया है कि उन्होंने फाइल साइन कर दी है। सुबह उन्हें मंजूरी मिल जाएगी।

मुआवजा दो, महंगी मशीनरी छोटा किसान कैसे खरीदेगा

मौके पर मौजूद किसानों ने मांग की कि किसानों को पांच हजार रुपए एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए ताकि किसान अपनी पराली का निपटारा कर सके। वहीं, किसानों ने कहा कि जो मशीनरी पराली को संभालने के लिए इस्तेमाल की जानी है वो कम हार्सपावर के ट्रैक्टर से नहीं चलाई जा सकती। छोटा किसान महंगे ट्रैक्टर व मशीनरी नहीं खरीद सकता।

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