प्रचार का समय खत्म, अब 24 घंटे बाद आएगा वोटर का टाइम

रूपनगर चुनाव प्रचार के अंतिम दिन शुक्रवार को प्रत्याशियों का खूब जोर लगा खूब पसीना बहा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 May 2019 10:28 PM (IST) Updated:Sat, 18 May 2019 06:25 AM (IST)
प्रचार का समय खत्म, अब 24 घंटे बाद आएगा वोटर का टाइम
प्रचार का समय खत्म, अब 24 घंटे बाद आएगा वोटर का टाइम

जागरण संवाददाता, रूपनगर

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन शुक्रवार को प्रत्याशियों का खूब जोर लगा, खूब पसीना बहा। ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलने और वोट मांगने की उनकी कोशिश रही। आसमान पर छाए बादलों ने प्रत्याशियों को कुछ राहत दी। कांग्रेस के मनीष तिवारी नवांशहर जिले में प्रचार में जुटे रहे और अकाली दल के प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा आनंदपुर साहिब हलके में प्रचार में रहे। दोपहर बाद दोनों उम्मीदवार मोहाली की तरफ कूच कर गए। सायं तक तिवारी और चंदूमाजरा ने मोहाली में जनसभाएं की।

आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव मैदान में डटे कांग्रेस के प्रत्याशी मनीष तिवारी ने जिला शहीद भगत सिंह के बलाचौर और और गढ़शंकर विधानसभा में रोड शो किए और बैठकें की। इसके बाद तिवारी सीधे मोहाली निकल गए। वहां बैठकों का दौर सायं तक चला। उधर, अकाली दल के प्रत्याशी प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सुबह नंगल में रोड शो किए। इसके बाद चंदूमाजरा मोहाली निकल गए। रूपनगर में चंदूमाजरा के प्रचार का बीड़ा पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ.दलजीत सिंह चीमा ने संभाले रखा। डॉ.चीमा ने दोपहर बाद रूपनगर में चंदूमाजरा के लिए रोड शो करके वोट मांगे। उनके साथ अकाली भाजपा के वर्कर भी थे। चंदूमाजरा के बेटे सिमरनजीत सिंह चंदूमाजरा ने भी रोड शो निकाला। रोड शो में दर्जनों की तादात में समर्थक ट्रैक्टर लेकर प्रचार के लिए पहुंचे हुए थे। पीडीए और अकाली दल टकसाली भी पीछे नहीं बसपा की अगुआई वाले पीडीए के उम्मीदवार सोढ़ी विक्रम सिंह ने भी रोड शो निकाला। घनौला से लेकर महैण गांव तक सोढ़ी विक्रम सिंह ने रोड शो निकाल कर लोगों से वोट मांगे। जबकि अकाली दल टकसाली के बीर दविदर सिंह ने रूपनगर से रोड शो शुरू किया और आनंदपुर साहिब में जाकर समापन किया। बीर दविदर सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रचार की शुरुआत भी तख्त श्री केसगढ़ साहिब में माथा टेककर की थी और अब प्रचार अभियान का समापन भी गुरु की हजूरी में कर रहे हैं। ये नेता भी आए प्रचार के लिए कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी के हक में कैप्टन अमरिदर सिंह तीन बार हलके में आए। पहली बार नामांकन दाखिल करने मौके, दूसरी बार नवांशहर और तीसरी बार खरड़ में जनसभा की। राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने काठगढ़ में जनसभा की। अकाली दल के प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा के हक में पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने सबसे ज्यादा आधा दर्जन जनसभाएं की। पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रम मजीठिया ने भी तीन जनसभाएं संबोधित की। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने एक- एक जनसभा को संबोधित किया। प्रचार के अंतिम केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर ने प्रचार किया। पीडीए के उम्मीदवार सोढ़ी विक्रम सिंह के हक में मायावती ने नवांशहर में एक जनसभा की थी। आप के नरिदर शेरगिल के हक में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोधिया ने रोड शो किया था। ज्यादा वाहन दौड़ने में तिवारी आगे, चंदूमाजरा पीछे प्रचार में वाहनों का ज्यादा इस्तेमाल करने में कांग्रेस के मनीष तिवारी आगे रहे। तिवारी के प्रचार में 13 वाहन लगे रहे। जबकि अकाली दल के प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा इस मामले में पीछे रहे। चंदूमाजरा ने छह वाहनों की चुनाव आयोग से मंजूरी ली थी। अकाली दल टकसाली ने दो वाहनों की मंजूरी ली थी। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा दस वाहनों की मंजूरी ली थी। चुनाव प्रचार का फ्लैशबैक कांग्रेस के मनीष तिवारी ने टिकट देरी से मिलने के बाद प्रचार 15 अप्रैल से शुरू किया, जबकि प्रो.प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने 30 मार्च से ही चुनावी बिगुल बजा दिया था। चंदूमाजरा को लोगों तक पहुंच का लंबा समय मिला। उनके प्रचार में उनकी धर्मपत्नी बलविदर कौर से लेकर दोनों पुत्र, दोनों पुत्रवधुएं, दोनों भतीजे व दोनों भांजे लगे रहे। वहीं तिवारी के साथ उनकी बेटी इनिका तिवारी ने प्रचार में हिस्सा लिया। हलके में कांग्रेस को एकजुट करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने चंडीगढ़ में बैठक भी की। विधानसभा स्पीकर राणा केपी सिंह ने मीडिया के सामने रूपनगर जिले में कांग्रेस के एकजुट होने का दावा भी किया। रूपनगर से आप विधायक अमरजीत सिंह संदोआ के कांग्रेस में आने के बाद जिला कांग्रेस प्रधान बरिदर सिंह ढिल्लों और संदोआ ने अलग अलग बैठकें व रैलियां कीं। चंदूमाजरा के हक में पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन मोहन मित्तल के शुरुआत में न होने का भी चर्चा में रहा। उधर, एक बार तो आप के नरिदर सिंह शेरगिल का नामांकन पिछले चुनाव का खर्च ब्यौरा न देने की वजह से रद्द कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट से शेरगिल अपने लिए राहत ले आए और चुनाव मैदान में डट गए।

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