नौ करोड़ से बने अस्पताल पर लगी सरकारी मुहर, अधिसूचना जारी

सिविल अस्पताल को पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन लाने की अधिसूचना जारी की है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Nov 2019 04:42 PM (IST) Updated:Wed, 06 Nov 2019 04:42 PM (IST)
नौ करोड़ से बने अस्पताल पर लगी सरकारी मुहर, अधिसूचना जारी
नौ करोड़ से बने अस्पताल पर लगी सरकारी मुहर, अधिसूचना जारी

सुभाष शर्मा, नंगल: 10 साल के लंबे समय में बनकर तैयार हुए नंगल के सिविल अस्पताल को पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन लाने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। गत पांच नवंबर को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी अधिसूचना के बाद अब यह अस्पताल मकसद के अनुसार इलाका वासियों को उपचार संबंधी सेवाएं प्रदान कर सकेगा। अस्पताल में जरूरी इंतजामों के लिए तीन करोड़ के फंड भी पंजाब सरकार की ओर से जारी कर दिए गए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल मल्टीस्पेशिलिटी संस्थान के रूप में इलाका वासियों को उपचार सेवाएं उपलब्ध करवा सकेगा। बता दें कि दशकों से नंगल इलाके के लोग जरूरी चिकित्सा सुविधाओं के अभाव कारण परेशानी झेल रहे हैं। ऐसे में एक नहीं, हजारों लोग दूर महानगरों के चिकित्सा संस्थानों पर निर्भर हैं। आपातकाल के दौरान भी नंगल के अस्पतालों में जरूरी सुविधाएं न होने के कारण लोगों को चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर की तरफ रेफर किया जाता है। इन हालातों में समय पर उपचार न मिलने के चलते कई लोग दम तोड़ चुके हैं। बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के मकसद से नंगल नगर कौंसिल की ओर से बनाए गए नौ करोड़ की लागत वाला चार मंजिला अस्पताल भी इस दिशा में सफल साबित नहीं हो सका था। अस्पताल तो बनाया गया था, लेकिन वोट बैंक की गुमराहकून राजनीति के चलते अस्पताल को सरकार के अधीन लाने के लिए जरूरी अधिसूचना जारी किए बिना ही 2016 में इसका उद्घाटन कर दिया गया। जरूरी सुविधाएं न होने के कारण यह अस्पताल सफेद हाथी ही बना रहा। सुविधाओं से लेस होगा नंगल इलाका

फोटो 6 एनजीएल 04 में है।

पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह ने कहा कि अस्पताल को सही ढंग से चलाने के मकसद से सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। पंजाब सरकार के वित्त विभाग ने नंगल के अस्पताल को चलाने के लिए जरूरी सुविधाएं व साजो-सामान के उपकरण उपलब्ध करवाने के मकसद से उठाई गई छह करोड़ राशि की माग को स्वीकार करते हुए प्रथम चरण में तीन करोड़ के फंड जारी कर दिए हैं। तीन करोड़ की दूसरी किश्त भी जल्द मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि नंगल इलाके को सुविधाओं से लेस किया जाए, इसलिए की गई कोशिश सफल हुई है। 8.75 करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं मिली कोई सुविधा पंजाब में कांग्रेस सरकार के समय 9 जून 2006 को अस्पताल बनाने का काम शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट का मकसद पूरा करने के उद्देश्य से नगर कौंसिल की ओर से 8.75 करोड़ खर्च करके लाला लाजपत राय मेमोरियल सिविल अस्पताल के नाम से तैयार 50 बिस्तर का अस्पताल गत 12 फरवरी 2016 को जनता के सुपुर्द किया गया था। पहले तो काफी देर तक अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के शासन में इस अस्पताल को जरूरी न बता कर इसकी अनदेखी की गई, बाद में आनन-फानन में इस पर 8.75 करोड़ खर्च कर दिए गए। इसके बाद आज तक यहां ऐसी कोई जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई, जिसका लाभ उठाकर विस क्षेत्र के गंभीर रोगी दूर महानगरों की ओर जाने से बच सकें। इस समय यह अस्पताल सफेद हाथी ही साबित हो रहा है, क्योंकि यहां घोषणा के अनुसार मल्टी स्पेशिलिटी चिकित्सा सुविधाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। ऐसे में इलाके के लोग पांच सितारा होटल जैसी दो लिफ्टों वाली इमारत वाले अस्पताल में आकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नंगल से गंभीर हालत में रेफर हुए कई रोगी चंडीगढ़, जालंधर व लुधियाना के चिकित्सा संस्थानों तक पहुंचते ही दम तोड़ चुके हैं। यहां भी एक नहीं कई जरूरी चिकित्सा सुविधाएं मरीजों को उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में समीपवर्ती हिमाचल के जिला ऊना व बिलासपुर के लोगों के अलावा नंगल क्षेत्र के एक लाख से अधिक लोग दूर महानगरों या फिर स्थानीय प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों में महंगा उपचार कराने के लिए मजबूर हैं। एंबूलेंस 108 का डेस्टिनेशन भी अभी तक उक्त अस्पताल की बजाए बीबीएमबी अस्पताल में है, क्योंकि यह अस्पताल मात्र एक डिस्पेंसरी की तरह ही चल रहा है। ये टेस्ट व विशेषज्ञ नहीं है विस क्षेत्र के अस्पतालों में विस क्षेत्र आनंदपुर साहिब में राज्य सरकार के चिकित्सा संस्थानों में चर्म रोग, शिशु विशेषज्ञ, हार्ट स्पेशलिस्ट सर्जन, मानसिक रोग विशेषज्ञ, एनेसथीसिया, अल्ट्रासाऊंड रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट आदि विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। इसके अलावा आधुनिक तकनीक वाले अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, एमआरआइ, डायलासिस, ईआरसीपी व टीएमटी जैसे परीक्षणों की व्यवस्था भी नहीं है।

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