सरकार की बेरुखी महज औपचारिकता

मातृ भाषा दिवस पर पंजाब भाषा विभाग के पटियाला स्थित हेड ऑफिस में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन करवाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Feb 2018 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 21 Feb 2018 03:00 AM (IST)
सरकार की बेरुखी महज औपचारिकता
सरकार की बेरुखी महज औपचारिकता

नवनीत छिब्बर, पटियाला

मातृ भाषा दिवस पर पंजाब भाषा विभाग के पटियाला स्थित हेड ऑफिस में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन करवाया जा रहा है। सीएम सिटी में होने वाले इस राज्य स्तरीय समारोह के लिए फंड तक सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी विशेष मौकों पर समारोह करवाने के लिए सरकार की ओर से भाषा विभाग को फंड जारी नहीं किए जाते हैं। मातृ भाषा के लिए काम करने वाला भाषा विभाग फंड की कमी और सरकार की बेरुखी के चलते लाचार साबित हो रहा है।

भाषा व साहित्य को लेकर होने वाले कार्यक्रम फंड की कमी के कारण या तो रद करने पड़ते हैं या फिर अपने स्तर पर उन्हें मैनेज करना पड़ता है। भाषा विभाग को फंड जारी करने की यह लापरवाही मातृ भाषा दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन के लिए भी बनी हुई है। सरकार की ओर से विभाग को राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए तो कह दिया गया, लेकिन फंड जारी नहीं किया गया। इस कारण यह राज्य स्तरीय कार्यक्रम महज औपचारिकता बन गया है। हालात यह हैं कि सीएम सिटी में होने वाले इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में नगर निगम मेयर को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। भाषा को सम्मान दिलाने के दावे करने वाली सरकार मातृ भाषा दिवस से मुंह मोड़ चुकी है। इस कारण भाषा विभाग अपने स्तर पर पटियाला में आयोजित कार्यक्रम को राज्य स्तर का दर्जा दे खानापूर्ति कर रही है।

चार साल से नहीं दिए जा रहे भाषाई पुरुस्कार

वर्ष 2014 के बाद से 2017 तक किसी साहित्यकार को पुरुस्कार नहीं दिया गया है। 2014 में भी तीन वर्षों के पुरुस्कार इस साथ दिए 60 साहित्सकारों के दिए गए थे। हर वर्ष पंजाबी साहित्य रत्न पुरुस्कार दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें 10 लाख रुपए की इनाम राशि दी जाती है। इसके अलावा 14 पुरुस्कार 5-5 लाख रुपए की राशि के दिए जाते हैं। इसके अलावा 6 साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए की इनाम राशि के पुरुस्कार दिए जाने का प्रावधान है।

2000 से हुई थी मातृ भाषा दिवस की शुरुआत

नवंबर 1999 में हुए यूनेस्को के अधिवेशन में मातृ भाषा का मुद्दा विशेष रूप से उठा था। इसमें यह ¨चता व्यक्त की गई थी कि यदि विभिन्न मातृ भाषाओं को बचाया नहीं गया तो विश्व की कई भाषाएं अपना अस्तित्व खो देंगी। इसी अधिवेशन में विश्व भर के नुमांइदों ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाने का फैसला सर्वसम्मति से किया था। इसके बाद दुनिया भर में 21 फरवरी को मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 21 फरवरी 2000 से इसकी शुरूआत हुई थी।

कोट्स

21 फरवरी को राज्य स्तरीय मातृ भाषा दिवस का आयोजन किया जा रहा है। आप फंड की बात कर रहे हैं, वो देर सवेर जारी हो ही जाता है। इस बार सेमिनार व कवि दरबार का आयोजन किया जा रहा है। साहित्यकारों को पुरुस्कार भी जल्द ही दिए जाएंगे। इस बारे में सूचना दे दी जाएगी।

- गुरशरण कौर, डायरेक्टर भाषा विभाग पंजाब

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