फसल न बिकने के कारण अनाज मंडियों में किसानों ने मनाई दीवाली

एक तरफ जब पूरा देश दीवाली का जश्न मना रहा था तो किसान मजबूरन रात को मंडियों में काट रहे थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Oct 2019 01:28 AM (IST) Updated:Tue, 29 Oct 2019 01:28 AM (IST)
फसल न बिकने के कारण अनाज मंडियों में किसानों ने मनाई दीवाली
फसल न बिकने के कारण अनाज मंडियों में किसानों ने मनाई दीवाली

जासं, सरहिद : एक तरफ जब पूरा देश दीवाली का जश्न मना रहा था तो किसान मजबूरन रात को मंडियों में काट रहे थे। इन किसानों की फसल में नमी की मात्रा ज्यादा बताकर एजेंसियों ने बोली नहीं लगाई। जिस कारण वे दिवाली की रात भी मंडियों में ही रहे। इससे पंजाब सरकार द्वारा 24 घंटे में फसल की खरीद करने के दावों की पोल भी खुली। सरकार के खिलाफ किसानों में रोष पाया गया। दिवाली की रात सरहिद अनाज मंडी में गांव मानूपुर का किसान पवित्र सिंह फसल की राखी कर रहा था। वह चारपाई पर कंबल लेकर आराम कर रहा था। बातचीत के दौरान किसान ने सरकार के खिलाफ रोष जताते हुए कहा कि पहले तो उसकी फसल मंडी में फड़ पर गिरा ली गई। अब बोला जा रहा है कि नमी की मात्रा ज्यादा है। इस लिए बोली नहीं लग सकती। अगर फसल में नमी ज्यादा थी तो अनाज मंडी के गेट से ही उसे वापस भेज देते। कम से कम वह दिवाली तो अपने घर मना लेते। वह यह सोचकर आए थे कि जाते ही फसल की बोली लग जाएगी और तुलाई के बाद वह घर आकर दिवाली मनाएंगे। लेकिन मंडी का बुरा हाल देखकर उसे फसल की राखी करनी पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में ही किसानों के साथ ऐसा हो रहा है। अंबाला में हाथों हाथ फसल बिक जाती है और सुबह जाकर किसान शाम को घर लौट आते हैं।

सौ फीसद खरीद का दावा

इधर, डीएफएसओ डा. निर्मल सिंह दावा कर रहे हैं कि मंडियों में सौ फीसदी खरीद हुई है। बिना वजह किसी को परेशान नहीं किया जा रहा। वहीं मंडियों में किसानों की मौजूदगी इस पर सवाल खड़े कर रही है कि अगर सौ फीसदी खरीद हुई है तो क्या किसान मंडियों में दिवाली मनाना अपना शौक समझते हैं।

मजदूरों ने भी मंडी में ही की लक्ष्मी पूजा

दिवाली की रात बाहरी राज्यों के मजदूर भी मंडी में ही कामकाज में व्यस्त रहे। उन्हें रात को भी अपने क्वाटरों में जाने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। जिस कारण मजदूरों ने मंडी में ही मां लक्ष्मी की पूजा की। मां की तस्वीर को बोरियों पर रखते हुए दीए जलाकर पूजा की गई और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की गई। मजदूरों ने कहा कि धान का सीजन जोरों पर होने कारण वे अपने परिवार संग दिवाली नहीं मना सके और न ही उन्हें मंडी से बाहर जाने का अवसर मिला।

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