गर्मी में रेलवे ट्रैक चेक करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती

रेलवे ट्रैक को नुकसान न हो को देखते हुए रेल प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 30 Jun 2019 12:08 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2019 06:38 AM (IST)
गर्मी में रेलवे ट्रैक चेक करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती
गर्मी में रेलवे ट्रैक चेक करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती

जासं, पठानकोट : तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से रेलवे ट्रैक को कोई नुकसान न हो को देखते हुए रेल प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की है। मंडल की ओर से आदेश के बाद सुबह 11 बजे से लेकर सायं 5 बजे तक की-मैन अपनी डयूटी को बखूबी तरीके से निभा रहे हैं। जानकारी के अनुसार अधिक गर्मी व सर्दी के मौसम में रात के वक्त ट्रैक के सिकुड़ने के चांस ज्यादा होते हैं। ऐसे में रेल हादसे होने की संभावना भी अधिक हो जाती है जिसे ध्यान में रखते हुए रेलवे की और से पठानकोट- अमृतसर, पठानकोट-कटड़ा रेल सेक्शन पर सुबह 11 बजे से सायं 5 बजे तक कर्मचारी ट्रैक पर पैनी नजर रखे हुए हैं ताकि कोई हादसा घटित न हो सके।

पठानकोट-जालंधर ट्रैक पेट्रोलिग के लिए 22 बीटें बनाईं

रेलवे की इंजीनियर विग की और से ट्रैक की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से पठानकोट-जालंधर रेल सेक्शन पर 22 बीट (22 कर्मचारियों) की तैनाती की गई है। दोनों बीटों में कर्मचारी सुबह 11 बजे से सायं 5 बजे तक ट्रैक का निरीक्षण कर रहें हैं। इसी प्रकार पठानकोट से जम्मूतवी, जम्मूतवी से कटड़ा, पठानकोट से अमृतसर सहित अन्य रेल सेक्शनों पर की-मैन पेट्रोलिग में लगाए गए हैं।

सुबह 11 से शाम पांच बजे तक नुकसान होने के ज्यादा चांस

जानकारी के अनुसार गर्मियों व सर्दियों के मौसम में रेलवे ट्रैक के सिकुड़ने का खतरा बना रहता है। गर्मियों में सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक गर्मी का प्रकोप अधिक रहता है और इसी दौरान ट्रैक को नुकसान पहुंचने के ज्यादा चांस होते हैं। गर्मियों में ट्रैक पेट्रोलिग करने वाले कर्मचारियों के पास लाल झंडी, नट बोल्ट कसने के लिए चाबी होती है जो जरुरत पड़ने पर इसे ठीक कर देते हैं। जबकि, सर्दियों के मौसम में रात्रि 11 से सुबह 5 बजे तक ट्रैक को नुक्सान होने का अनुमान रहता है। गर्मियों की तुलना सर्दियों में रात के वक्त पेट्रेालिग करने वाले कर्मचारियों को एचएसएल लैंप (रात को इंडीकेशन करने वाली लैंप), लाल झंडी, नट बोल्ट कसने के लिए चाबी व पटाखे दिए जाते हैं। सर्दियों में अधिक फॉग होने पर जब विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है और तब ट्रेन ड्राइवरों को ट्रेन की स्पीड कम करने आ आदेश होता है तब पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैक पेट्रोलिग करने वाले कर्मचारी तब स्टेशन के 150 मीटर पहले ट्रैक आउटर सिग्नल पर फिट करता है। ट्रेन जब उस पर से गुजरती है तो पटाखों की आवाज होती है जिससे ड्राइवर को एक संकेत होता है कि आगे स्टेशन आने वाला है और वह आराम से अपनी स्पीड को नियंत्रण कर लेता है। पठानकोट रेलवे के एडीईएन (असिस्टेंट डिवीजनल इंजीनियर) विपुल गोयल से बात की तो उनका कहना था कि दिन व दिन बढ़ते तापमान के कारण ट्रैक के सिकुड़ने का खतरा अधिक हो जाता है जिसे ध्यान में रखते हुए मंडल ने सुबह 11 से सायं 5 बजे तक अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर ट्रैक की सुरक्षा को बढ़ा दिया है।

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