पेड़ से होती हरियाली, आएगी जीवन में खुशहाली

वृक्षों की कमी की वजह से पर्यावरण का संतुलन दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहा है और मौसम में बदलाव की स्थिति पैदा हो रही है। जमीन जंगल और जल के बिना प्रकृति अधूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 12:40 AM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 06:06 AM (IST)
पेड़ से होती हरियाली, आएगी जीवन में खुशहाली
पेड़ से होती हरियाली, आएगी जीवन में खुशहाली

जागरण संवाददाता, नवांशहर : वृक्षों की कमी की वजह से पर्यावरण का संतुलन दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहा है और मौसम में बदलाव की स्थिति पैदा हो रही है। जमीन, जंगल और जल के बिना प्रकृति अधूरी है। इन तत्वों की जरूरत हमें कल भी थी, आज भी है ओर आने वाले कल भी रहेगी। प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है। इसी जिम्मेदारी को याद करवाने के लिए हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है।

नवांशहर के बंगा रोड पर बुधवार को एसकेटी प्लांटेशन टीम द्वारा वन मंडल (विस्थार) पटियाला के आह्वान पर विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पौधारोपण करके मनाया गया। इस दौरान आम, नीम व बहेड़े के पौधे लगाए गए। इस दौरान बीट अफसर जसकरन सिंह विशेष रूप से शामिल हुए।

बीट अफसर जसकरन सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना होगा कि पर्यावरण के स्वच्छ रहने पर ही धरती पर जीवन संभव है। बरगद व पीपल के पेड़ जहां हमे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन देते हैं वहीं बेल व शमी के पेड़ शुभ माना जाता है। कहा कि पेड़ लगाने के साथ-साथ हमें पेड़ बचाने की अधिक आवश्यकता है। उन्होने टीम एसकेटी की सराहना करते हुए कहा कि टीम नवांशहर मे पौधारोपण का अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत अच्छा कार्य कर रही है। इस मौके पर जसकरन सिंह, अंकुश निझावन, कुलजीत सिंह, करमजीत, प्रभदीप व नितेश तिवारी उपस्थित रहे। कोरोना काल में घटा प्रदूषण का स्तर

टीम के संचालक अंकुश निझावन ने कहा कि कोरोना वायरस ने देश और दुनिया में त्राहि-त्राहि मचा रखी है। लाखों लोग इसके शिकार हो चुके है लेकिन इसी कोरोना काल में कुछ खुशखबरी भी प्रकृति को लेकर सुनने को मिली है, जिसे सुखद कहा जा सकता है। भारत में कई शहरों में हाल के वर्षों में प्रदूषण अपने चरम पर रहा, नदियां दूषित होने लगी। लेकिन इस कोरोना काल में नदियां भी साफ हुई और महानगरों में शुद्ध हवा लोगों को नसीब हुई। पशु पक्षियों को सुकून मिला। पर्यावरण शुद्ध होने से लोगों को निश्चय ही नवजीवन मिला है। आज हमे जरूरत है कि हम आने वाले समय मे भी अपनी दिनचर्या कुछ ऐसी ही बनाये ताकि हमारी प्रकृति का सरंक्षण हो सके।

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