पति से पल भर हुई बात, 11 घंटे बाद मिली शहादत की सूचना

सत्येन ओझा, मोगा : सुबह महज एक मिनट के लिए पति से फोन पर बात हुई थी, बटालियन के साथ कश्मीर जाने का स

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 10:27 PM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 10:27 PM (IST)
पति से पल भर हुई बात, 11 घंटे बाद मिली शहादत की सूचना
पति से पल भर हुई बात, 11 घंटे बाद मिली शहादत की सूचना

सत्येन ओझा, मोगा : सुबह महज एक मिनट के लिए पति से फोन पर बात हुई थी, बटालियन के साथ कश्मीर जाने का संदेश दिया था, इस कॉल के ठीक 11 घंटे बाद आए दूसरे कॉल ने मानो सुखजीत कौर से उसकी ¨जदगी ही छीन ली, कॉल पर सुखजीत को महज यही संदेश दिया गया था, उनके पति आतंकी हमले में शहादत प्राप्त कर चुके हैं, बस इतना ही सुना था, सुखजीत की आंखों के आगे अंधेरा छा गया, जोर से चीख निकली और बेसुध होकर गिर पड़ी।

सुखजीत की कॉल सुनकर आसपास के क्वार्टर से महिलाएं उसके घर पहुंची, उस समय सूचना देने वाले का फोन कॉल जारी था, शेष बातें पड़ोसी महिलाओं ने ही सुनीं। मुश्किल से सुखजीत को संभाला, उनका फोन अपने कब्जे में लेकर सुखजीत कौर को काफी ढांढस बंधाने की कोशिश की कि पति की शहादत की पुष्टि नहीं हुई है, ये शब्द सुखजीत को सांत्वना नहीं दे पाए।

सूचना पाकर कोटईसे खां में रह रहे जैमल ¨सह के पिता जसवंत ¨सह व मां सुख¨बदर कौर भी परिजनों के साथ जालंधर पहुंच गए थे, बाद में बहू को लेकर सुबह तड़के कोटईसे खां अपने निवास पर वापस आ गए थे। पति की शहादत की सूचना पाकर पत्नी सुखजीत कौर का हाल ये था कि पति ही नहीं, बल्कि आंसू भी मानो साथ छोड़ गए हों, कभी बुत बनकर इधर-उधर देखती, फिर चीख निकलती। काश आंखों से कुछ आंसू छलक जाते तो दिल का गुबार आंसुओं में बहकर कुछ तो हलका होता। बेटा नहीं समझ पा रहा था हुआ क्या है?

यूकेजी में पढ़ रहा जैमल ¨सह का इकलौता बेटा गुरु प्रकाश ¨सह अचानक घर के बदले इस माहौल को टुकुर-टुकुर देखे जा रहा था, कभी मां को बिलखते देखता, तो कभी दादा-दादी को। उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, आखिर ये सब क्या हो गया है। पांच साल के मासूम गुरु प्रकाश ¨सह से जब पूछा पिता कहां हैं, तो कोई उत्तर नहीं दे पाया। बस कभी इधर जाता, कभी उधर जाता, लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा था, आखिर हुआ क्या है? प्रशासन की अनदेखी से निराशा

जिला प्रशासन व सरकार की अनदेखी से परिवार के सदस्य बेहद निराश थे। 11 बजे तक न तो प्रशासन के किसी अधिकारी का फोन कॉल जैमल ¨सह के किसी पहुंचा न ही प्रशासन का कोई अधिकारी। लगभग सवा 11 बजे तहसीलदार धर्मकोट पहुंचे। परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे पूर्व मंत्री जत्थेदार तोता¨सह ने जैमल ¨सह के निवास से ही डीसी को फोन करके पूछा कि आखिर प्रशासन कहां है? तब डीसी ने बताया कि वे अपने आवास पर हैं, शहीद जैमल ¨सह के पार्थिक शरीर के आने की जानकारी ले रहे हैं। इसके लगभग दो घंटे बाद दोपहर लगभग एक बजे डीसी संदीप हंस जैमल ¨सह के कोट ईसे खां निवास पर पहुंचे। इससे पहले कैप्टन कैबिनेट के सदस्य विजयेन्द्र ¨सगला के आने की सूचनाएं तैरती रहीं, लेकिन मंत्री तो क्या कांग्रेस का कोई छुटभैय्या नेता भी नहीं पहुंचा। देर से पहुंचने पर दी सफाई

देर से पहुंचने पर डीसी ने दलील दी कि सुबह के समय रिश्तेदारों आदि का मिलना-जुलना रहता है, वे जल्दी आ भी जाते तो, उनसे पार्थिक शरीर कब पहुंच रहा है ये पूछा जाता, उसी की जानकारी हासिल कर रहे थे, लेकिन दोपहर एक बजे पहुंचकर भी डीसी स्पष्ट नहीं बता सके कि आखिर पार्थिक शरीर कब तक पहुंच सकेगा। बड़े भाई के मलेशिया से लौटने का इंतजार

जैमल ¨सह दो भाइयों में छोटे थे, बड़े भाई नसीब ¨सह आठ साल पहले मलेशिया में बस गए थे, सूचना मिलते ही वे वहां से चल पड़े हैं, उनके 16 फरवरी तक यहां पहुंचने की संभावना है, उसके बाद ही जैमल ¨सह की पार्थिक देह का अंतिम संस्कार होगा।

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