छह साल से उम्रकैदी नहीं लौटा जेल, मामला दर्ज

जागरण न्यूज नेटवर्क, मोगा गांव ढोलेवाला के तत्कालीन सरपंच एवं सीआरपीएफ के भगोड़े कर्मी जिसने अपने द

By Edited By: Publish:Thu, 12 Mar 2015 01:12 AM (IST) Updated:Thu, 12 Mar 2015 01:12 AM (IST)
छह साल से उम्रकैदी नहीं लौटा जेल, मामला दर्ज

जागरण न्यूज नेटवर्क, मोगा

गांव ढोलेवाला के तत्कालीन सरपंच एवं सीआरपीएफ के भगोड़े कर्मी जिसने अपने दोस्त व मौसेरे भाई से मिलकर लगभग 20 साल पहले एक परिवार के आठ लोगों की हत्या की थी, जिसमें दो महिलाएं व चार बच्चे भी शामिल थे, छह साल बाद भी एक माह की घर जाने को छुट्टी लेकर वापस अभी तक जेल नहीं पहुंचा है। इस संदर्भ में केंद्रीय जेल अमृतसर के जेल सुपरिंटेंडेंट ने मंगलवार को फिर से मामला दर्ज कराया है। गौर हो कि उक्त मामले में अदालत ने हत्यारे उम्रकैदी को फांसी की सजा दी थी, जबकि उसके दोस्त व मौसेरे भाई को बरी कर दिया था। इसके बाद दोषी ने राष्ट्रपति से फांसी की सजा माफ करने की गुहार लगाई थी। जिस पर 1997-98 में राष्ट्रपति ने उक्त सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। दूसरी ओर केंद्रीय जेल अमृतसर में उम्रकैद की सजा भुगत रहा उक्त कैदी लगभग छह साल पहले एक माह के लिए जेल से छुट्टी पर घर आया था। मगर, बाद में जेल न लौटने पर उसे जेल सुपरिंटेंडेंट ने भगोड़ा करार दिया हुआ है। इस मामले में मंगलवार को थाना धर्मकोट पुलिस ने अब जेल सुपरिंटेंडेंट के पत्र के आधार पर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इस संदर्भ में सब इंस्पेक्टर सर्बजीत सिंह ने बताया कि केंद्रीय जेल अमृतसर के सुपरिंटेंडेंट ने थाना धर्मकोट पुलिस को लिखे पत्र में कहा है कि कस्बा धर्मकोट के गांव ढोलेवाला निवासी मलूक सिंह जेल में गांव के आठ लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद काट रहा था। इस मामले में कैदी मलूक सिंह जेल से 2009 में एक माह की छुटटी पर अपने गांव ढोलेवाला आया था। मगर, वह छुट्टी खत्म होने के बाद वापस जेल नहीं पहुंचा। जिस पर जेल सुपरिंटेंडेंट ने उक्त कैदी को भगोड़ा करार दे थाना धर्मकोट पुलिस को पत्र लिखा था। जिस पर पुलिस ने मंगलवार को कैदी मलूक सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस की धारा 8(2) 9 के तहत केस दर्ज किया है।

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सीआरपीएफ का भगोड़ा कर्मी था मलूक सिंह

बताया जा रहा है कि गांव ढोलेवाला निवासी मलूक सिंह सीआरपीएफ में नौकरी करता था। मगर, 1984 में अमृतसर गोल्डन टैपल पर हुए ब्लू स्टार ऑपरेशन के बाद वह फौज से भगोड़ा हो गया। इसके बाद अपने आंतकी भाई पिपल सिंह के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम देने लगा। इसी बीच उसके भाई पिपल सिंह के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद मलूक सिंह गांव आकर रहने लगा। जहां गांव के लोगों ने उसे वर्ष 1994-95 में गांव का सरपंच बना दिया था। इस दौरान उसके दोस्त बचितर सिंह का अपने भाइयों के साथ 21-22 एकड़ जमीन को लेकर विवाद चला आ रहा था। जिस पर मलूक सिंह, उसके मौसेरे भाई निवासी जीरा व बचितर सिंह तीनों ने मिलकर बचितर सिंह के दो भाइयों, दो भाभियों व उनके चार बच्चों की हत्या कर दी थी। इस पर तीनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में अदालत ने बचितर सिंह व जीरा निवासी व्यक्ति को बरी कर दिया था। मगर, अदालत में तत्कालीन सरपंच मलूक सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ मलूक सिंह ने राष्ट्रपति के पास दयामाफी की अपील की। वर्ष 1997-98 में उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति ने मलूक सिंह की फांसी की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया था।

इसके बाद मलूक सिंह अमृतसर की केंद्रीय जेल में सजा काट रहा था। मगर, वर्ष 2009 में एक माह की छुट्टी मिलने के बाद मलूक सिंह वापस नहीं लौटा। जिसके चलते केंद्रीय जेल के सुपरिंटेंडेंट ने कैदी मलूक सिंह को भगोड़ा करार दिया था।

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भगोड़ा करार होने के बावजूद लूटी बैंक की कैश वैन

मलूक सिंह ने अपने भतीजे व कई साथियों के साथ मिलकर वर्ष 2012 में जीरा में बैंक का कैश लेकर जा रही वैन से दस लाख रुपये लूट लिए थे। इस दौरान पुलिस के एक एएसआइ को गोली भी लगी थी। इस मामले में मलूक सिंह का भतीजा भी शामिल था। वर्तमान में मलूक सिंह का भतीजा गुरमीत सिंह अमृतसर जेल में बंद है।

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