तीसरी आंख: सिर्फ नाम के सहायता केंद्र, नहीं ली जा रही सुध

कई बार प्रशासन सुविधाएं शुरू कर देता है। मगर वहां स्थिति क्या है इसकी सुध नहीं ली जाती। मजदूरों को गृह प्रदेश भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

By Sat PaulEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 12:25 PM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 12:25 PM (IST)
तीसरी आंख: सिर्फ नाम के सहायता केंद्र, नहीं ली जा रही सुध
तीसरी आंख: सिर्फ नाम के सहायता केंद्र, नहीं ली जा रही सुध

लुधियाना, [राजन कैंथ]। कई बार प्रशासन सुविधाएं शुरू कर देता है। मगर वहां स्थिति क्या है, इसकी सुध नहीं ली जाती। मजदूरों को गृह प्रदेश भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। अब स्थानीय पुलिस ने प्रवासी सहायता केंद्र स्थापित किए। इसका मकसद था कि जो लोग दूसरे शहरों से पैदल आ रहे हैं, उन्हें यहीं पर रोककर शेल्टर होम में रखा जाए। वहां उनके रहने, खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। वहीं से उन्हें ट्रेन में भेजा जाएगा। मगर कैलाश नगर चौक में बनाए सहायता केंद्र में हालात कुछ और ही हैं। वहां तैनात समाजसेवी मुकेश बताते हैं कि वह लोग पैदल जा रहे लोगों को रोककर यहां से बैठा देते हैं। मगर प्रशासन उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं करता। वे अपनी जेब से खर्च करके उन्हेंं खाना खिला रहे हैं। कई दिन तक रेल गाड़ी में नंबर नहीं आता तो हताश मजदूर पैदल ही चले जाते हैं।

लोग समझते ही नहीं

कर्फ्यू खत्‍म होने के बाद शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान पुलिस और प्रशासन ने आम लोगों को राहत देते हुए सुबह सात से शाम सात बजे तक की छूट दे दी है। साथ ही निर्देश भी जारी किए कि शाम सात बजे के बाद कोई भी घरों से बाहर नजर नहीं आना चाहिए। मगर शहर के बहुत सारे ऐसे इलाके हैं, जहां की गलियों और बाजारों में भीड़ लगी रहती है। पहले पहल पुलिस ने गलियों में घूमने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की। मगर अब पुलिस भी उन्हेंं देखकर अनदेखा करने लगी है। ऐसे में एक इलाके में घूम रहे पीसीआर के मुलाजिमों से जब पूछा कि वह घरों से बाहर टहलने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते, तो बड़े उकताए अंदाज में पुलिसकर्मी ने कहा कि इन लोगों को समझाकर हम थक चुके हैं। ये लोग मानने को तैयार नहीं, अब पुलिस किस-किस पर कार्रवाई करती रहे।

ये नियम सही नहीं

कर्फ्यू खुलने के बाद वाहनों पर सवारियां को लेकर भी पुलिस ने निर्देश जारी किए हैं। इससे लोग असमंजस में हैं। आदेश हैं कि दोपहिया वाहन पर एक व्यक्ति और कार में ड्राइवर समेत कुल तीन लोग जा सकते हैं। ऑटो रिक्शा में ड्राइवर समेत कुल चार लोग ही सफर कर सकते हैं। बस में तीन लोगों वाली सीट पर दो और दो वाली सीट पर एक व्यक्ति ही सवारी कर सकता है। हालांकि पुलिस के ये निर्देश अखबारों के माध्यम से लोगों तक पहुंच भी रहे हैं। उसके बावजूद बहुत सारे लोग भ्रम में हैं। वे एक-दूसरे को फोन करके जानकारी भी ले रहे हैं। चंडीगढ़ रोड पर कुछ ऐसा किस्सा सामने आया। एक दोस्त ने दूसरे को फोन करके पूछा, भाई क्या मैं पत्नी को स्कूटर पर ले जा सकता हूं, तो जवाब मिला, नहीं। हालांकि लोग इसे भी गलत ठहरा रहे हैं। वैसे देखा जाए तो है भी गलत।

फिर शहर लौट आओ

श्रमिकों को स्पेशल ट्रेनों में उनके गृह राज्य भेजा जा रहा है। करीब दो लाख मजदूर जिले से घरों को लौट चुके हैं। अब एक और पहलू सामने आने लगा है। वो यह कि कारखाने चलने से कई श्रमिकों को यहां काम मिल गया है, वे घर नहीं जाने का मन बना चुके हैं। अब तो घर लौट चुके साथियों को भी वे फोन करके बुला रहे हैं। एक किस्सा बताते हैं। गिल रोड पर रहने वाला दिनेश लॉकडाउन में घर ही रहा है। अब काम मिला तो उसने बिहार के पूर्णिया लौट चुके साथी मनोज को फोन करके बताया कि उसे काम मिल गया, वह भी लौट आए। होजरी फैक्ट्री में लेबर की बहुत जरूरत है। हालांकि वह अभी वहां से आ नहीं सकता। क्योंकि यहां से ट्रेन जा तो रही है मगर वहां से सवारियां नहीं ला रही है। मनोज को वहां से ट्रेन आने का इंतजार रहेगा।

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