राशन के नाम पर लाठियां मिल रहीं, घर नहीं जाएं तो क्या करें

प्रशासन के दावों के बावजूद कामगारों को सरकारी राशन नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 May 2020 04:00 AM (IST) Updated:Fri, 08 May 2020 04:00 AM (IST)
राशन के नाम पर लाठियां मिल रहीं, घर नहीं जाएं तो क्या करें
राशन के नाम पर लाठियां मिल रहीं, घर नहीं जाएं तो क्या करें

जासं, लुधियाना : प्रशासन के दावों के बावजूद कामगारों को सरकारी राशन नहीं मिल रहा है। उन्हें सरकारी हेल्पलाइन नंबर पर आए एसएमएस में बताई जगह पर पहुंचकर भी राशन मुहैया नहीं करवाया जा रहा है। प्रशासन की अव्यवस्था और भुखमरी के कारण ही श्रमिकों ने अपने गांवों को लौटना शुरू कर दिया है। मजदूरों का कहना है कि अब उन्हें करने को काम नहीं और खाने को राशन नहीं मिल रहा है तो वह घर नहीं जाएं तो और क्या करें। इससे तो वे यहां भूखे ही मर जाएंगे।

दरअसल, वीरवार को भी 1500 के करीब कामगार सरकारी एसएमएस आने पर सुबह छह बजे से ही थाना डिवीजन नंबर तीन के बेंजामिन रोड के एक स्कूल में पहुंच गए। इससे डिवीजन तीन से सीएमसी चौक तक काफी लंबी लाइन लग गई। मजदूरों को जब तीन घंटे लाइन में लगने के बाद राशन नहीं मिला तो उन्होंने रोष जाहिर करना शुरू कर दिया। फिर पुलिस को उन्हें खदेड़ने के लिए हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।

ढंडारी की राजीव गांधी बस्ती के निवासी निखलेश कुमार कहते हैं कि उन्हें छह मई को बेंजामिन रोड के स्कूल में बुलाया गया था। जब वहां पहुंचे तो पता चला कि राशन मिल ही नहीं रहा था। उन्हें फिर सात मई को दोबारा मैसेज भेजकर बुलाया गया। सुबह छह बजे से लाइन में लगा रहा। अभी बारी आने ही वाली थी कि उन्हें बोल दिया गया कि राशन के लिए कल आएं। जब रोष जताया तो लाठियां मारी गई। वहीं राजेश कुमार, बलदेव राज और पुष्पा देवी का कहना है कि उन्हें राशन देने के नाम पर जलील किया जा रहा है। बार बार बुलाया जाता है और राशन नहीं दिया जाता है। राशन लेने के लिए खाने पड़ रहे धक्के

इस दौरान मजदूरों ने कहा कि पहले तो प्रशासन उनके एरिया में आकर अनाउंसमेंट करता है कि वह सरकारी राशन लेने के लिए सरकारी नंबरों पर फोन करें। जब वह फोन करते हैं तो दो तीन दिन बाद एसएमएस आता है कि वह बताई जगह पर जाकर इस तारीख को राशन ले सकते हैं। जब वह वहां पहुंचते हैं तो राशन नहीं होता है और उन्हें अगले दिन बुलाते हैं तो तब भी पूरा राशन नहीं होने पर लौटा दिया जाता है। उन्हें राशन के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।

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